इलेक्शन बांड के खतरे
— जगदीप एस. छोकर —
हालांकि सरकार बार-बार कहती रही है कि इलेक्शन बांड ने राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बना दिया...
प्रतिनिधि वापसी के जनाधिकार की जरूरत
— विनोद कोचर —
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, भावी राजनीतिक दल के संविधान हेतु, पदयात्रा के दौरान जनता से सुझाव मांग रहे हैं, और उन...
सेल्फी वाली यह आजादी किसकी है?
— विमल कुमार —
पंद्रह अगस्त को पांच करोड़ सेल्फी हर घर तिरंगा योजना में अपलोड किया गया। यह डिजिटल युग और सोशल मीडिया के...
अनुच्छेद 370 हटाने के तीन साल : हमने क्या खोया क्या...
— डॉ सुरेश खैरनार —
कश्मीर के रीति-रिवाजों को देखकर लगता नहीं कि कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान। वहाँ के नाम ही देख लीजिए-...
अनुच्छेद 370 हटाने के तीन साल : हमने क्या खोया क्या...
— डॉ. सुरेश खैरनार —
कश्मीर की समस्या को बढ़ाने के लिए वहाँ के हिन्दू महाराजा मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। और जब जिन्ना ने...
अनुच्छेद 370 हटाने के तीन साल : हमने क्या खोया क्या...
— डॉ सुरेश खैरनार —
तीन साल पहले 370 हटाकर राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे केंद्रशासित प्रदेश में बदलकर रख दिया! जबकि भारत में...
अनुच्छेद 370 हटाने के तीन साल : हमने क्या खोया क्या...
— डॉ सुरेश खैरनार —
कश्मीर पर बल द्वारा नहीं, केवल पुण्य द्वारा विजय की जा सकती है। यहाँ के निवासी केवल परलोक से भयभीत...
जनता की मेधा
— कृष्ण कांत —
यह मेधा पाटकर हैं। अपने ऑफिस में अपने बिस्तर पर बैठी दाल-रोटी खा रही हैं। यह कमरा उनके सोने का भी...
प्रेस की आजादी और लोकतंत्र
— रामशरण —
तीन मई प्रेस की आजादी के महत्त्व को समझने का दिन है। प्रेस पूरी दुनिया की आजादी के लिए लड़ने वाला समुदाय...
यह घोर मजदूर-विरोधी व्यवस्था है
— मंजुल भारद्वाज —
भूमंडलीकरण ने श्रमिकों के मानवाधिकारों, श्रम की गरिमा, प्रतिरोध की आवाज, बेहतर पारिश्रमिक को तार-तार कर मालिकों के मुनाफे की राह...