अखिलेश की सबसे बड़ी भूल
— रामशरण —
वर्ष 2022 का यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से नहीं, सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सबक देता है। इस चुनाव में भाजपा की पंजाब को छोड़कर सभी चार राज्यों- उत्तर प्रदेश, गोवा,...
विधानसभा चुनाव : बहस से गायब नयी शिक्षा नीति
— प्रेम सिंह —
करीब एक महीने तक चले पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का समापन होने जा रहा है। केवल उत्तर प्रदेश में 7 मार्च को अंतिम चरण का चुनाव बाकी है। चुनावों के...
उत्तर प्रदेश में बदलाव की बयार
— संदीप पाण्डेय —
उत्तर प्रदेश का चुनाव अपने आखिरी पड़ाव पर है। पहले तो यह लग रहा था कि सिर्फ पश्चिमी उ.प्र. में ही जहां किसान आंदोलन का असर है समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय...
क्या राष्ट्रीय राजनीति के समीकरण बदलेंगे?
— प्रेम सिंह —
उत्तराखंड में भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहर और अस्थिरता कांग्रेस के पक्ष में प्रमुख कारक माने गए। हालांकि, यह भी सामने आया कि कांग्रेस का चुनावी प्रबंधन अपेक्षाकृत कमजोर था।...
पाँच राज्यों के चुनाव और देश की राजनीति
— प्रेम सिंह —
पाँच राज्यों में 10 फरवरी से 7 मार्च 2022 तक होनेवाले विधानसभा चुनावों का सत्ता की राजनीति और विचारधारा की राजनीति दोनों पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। राजनीतिक पार्टियों, जनसंचार माध्यमों...
स्वाधीन भारत की उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ
— अरमान अंसारी —
आजादी, स्वतंत्रता, स्वाधीनता, स्वराज, अलग-अलग नामों से हम देश की उस परम उपलब्धि को जानते हैं जिसके लिए देश के हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया था। उनके अमर त्याग...
किसान आंदोलन की राजनीति!
— प्रेम सिंह —
तीन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तत्त्वावधान में चले अभूतपूर्व किसान आंदोलन पर मैंने पाँच-छह लेख लिखे हैं। दोहराव न हो, लिहाजा, यह संक्षिप्त टिप्पणी।
किसान आंदोलन...
सितम के इस दौर में आप किसके साथ हैं
— रामस्वरूप मंत्री —
सन 1977 के लोकसभा चुनाव में किसी को उम्मीद न थी कि इंदिरा कांग्रेस हारेगी। सारा मीडिया, पूँजीपति और सदैव सरकार की गोदी में खेलनेवाले कथित निष्पक्ष साहित्यकार, बुद्धिजीवी, कुलीन आभिजात्य...
क्या चन्नी बेईमान और केजरीवाल ईमानदार हैं!
— प्रेम सिंह —
बीस जनवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बेईमान आदमी बताया। यह जोर देते हुए कि उन्हें आम आदमी न समझा जाए। यानी...
नेताजी की नजर में गांधी
— गोपाल राठी —
संघी बिरादरी अपने सुनियोजित प्रचार के जरिए नेहरू के खिलाफ सरदार पटेल को और महात्मा गांधी के खिलाफ सुभाष बाबू को एक प्रतीक बनाकर नेहरू और गांधी का महत्व कम करने...