Home दशा-दिशा राजनीति

राजनीति

आपातकाल की याद में

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— सुरेंद्र किशोर — आॅस्टे्रलिया के राष्ट्रीय पुस्तकालय से मोदी सरकार मंगवाएगी आपातकाल पर शाह आयोग की रपट जिसे गायब करा दिया था 1980-84 की इंदिरा सरकार ने कब मंगाएगी शाह आयोग की रपट की...

भारत में समाजवादी आन्दोलन के 90 वर्ष

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— प्रवीण मल्होत्रा — 17 मई कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का स्थापना दिवस है l आज से 90 वर्ष पूर्व सन 1934 में, पटना में, कुछ युवा, बुद्धिजीवी और वामपंथी विचार के युवजनों ने कांग्रेस के...

शांति की पहल का स्वागत

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— परिचय दास — यह खबर आई कि पाकिस्तान के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारत से संपर्क कर युद्धविराम की पहल की। इसके पश्चात भारत ने इस पर...

मेरा ग़ुस्सा, मेरी नाराज़गी, मेरी पीड़ा

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— माजिद पारेख — पहलगाम में जो भयानक और नासमझी भरा हिंसक हमला हुआ है, उसने सिर्फ़ देश की शांति नहीं तोड़ी, बल्कि हर उस भारतीय मुसलमान की आत्मा को झकझोर दिया है, जो अब...

जाति जनगणना

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— प्रोफ़ेसर डी एम दिवाकर — मोदीजी अगर जाति जनगणना के पक्ष में होते तो 2021 का जनगणना नहीं टाला जाता। कोरोनाकाल का बहाना बनाकर जनगणना टाल दिया पर रैलियां और चुनाव होते रहे। बिहार...

आज सामंती अगडों के पेट में दर्द भयानक उठेगा

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— रमाशंकर सिंह — केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना के फ़ैसले का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ लेकिन आबादी के अनुपात में पिछड़ों वंचितों दलितों और इन सभी समाजों की स्त्रियों को राजकाज, अध्यापन व...

बर्फ़ के नीचे दहकती चीखें

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— परिचय दास — पिघलती हिम की चुप्पियों में गोलियों की गूंज जब उतरती है तो घाटी की घाटियों में बर्फ नहीं, लहू जम जाता है और उस लहू में बहता है वह प्रश्न, जिसे...

कश्मीर के पहलगाम में हुई हिंसा पर रॉबर्ट वढेरा का बयान, असंवेदनशील बयान है

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— परिचय दास — किसी भी देश की सामाजिक और राजनीतिक चेतना की परिपक्वता का परिचय उसके नागरिक, बुद्धिजीवी और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय व्यक्तित्व तब देते हैं जब वे कठिन समय में संयम और...

आपातकाल के पचास साल

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— चंचल — रुदाली आज शुरू कर रहे हो - “ आपातकाल सही था , “ “ जेपी ग़लत थे “ “ डॉ लोहिया और जेपी सीआईए के एजेंट थे “ ? सच कहूँ तो...

मुर्शिदाबाद की हिंसा के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

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— परिचय दास — ।। एक ।। मुर्शिदाबाद की हालिया हिंसा को मात्र एक प्रशासनिक विफलता या आकस्मिक घटना कह कर टालना, उस गहरी सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संरचना की अनदेखी होगी, जो वर्षों से पश्चिम...