किसान आंदोलन की राजनीति!
— प्रेम सिंह —
तीन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तत्त्वावधान में चले अभूतपूर्व किसान आंदोलन पर मैंने पाँच-छह लेख लिखे हैं। दोहराव न हो, लिहाजा, यह संक्षिप्त टिप्पणी।
किसान आंदोलन...
सितम के इस दौर में आप किसके साथ हैं
— रामस्वरूप मंत्री —
सन 1977 के लोकसभा चुनाव में किसी को उम्मीद न थी कि इंदिरा कांग्रेस हारेगी। सारा मीडिया, पूँजीपति और सदैव सरकार की गोदी में खेलनेवाले कथित निष्पक्ष साहित्यकार, बुद्धिजीवी, कुलीन आभिजात्य...
क्या चन्नी बेईमान और केजरीवाल ईमानदार हैं!
— प्रेम सिंह —
बीस जनवरी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बेईमान आदमी बताया। यह जोर देते हुए कि उन्हें आम आदमी न समझा जाए। यानी...
नेताजी की नजर में गांधी
— गोपाल राठी —
संघी बिरादरी अपने सुनियोजित प्रचार के जरिए नेहरू के खिलाफ सरदार पटेल को और महात्मा गांधी के खिलाफ सुभाष बाबू को एक प्रतीक बनाकर नेहरू और गांधी का महत्व कम करने...
विधानसभा चुनावों के तीन आयाम
— अमृतांशु —
त्रासदियों से घिरा एक औसत आदमी प्रायः चमत्कार की उम्मीद में बैठा रहता है। भारतीय गणतंत्र जब सांप्रदायिकता, अतिपूँजीवाद और सत्तादंभ के भंवरजाल में फंसकर अपने मौलिक अर्थों को खो रहा है...
कहाँ से चले थे कहाँ आ गये हम!
— जयराम शुक्ल —
देश में हिंदू-मुसलमान को लेकर आज जो चल रहा है उसे देखते हुए मेरे अवचेतन मन में अपने गाँव के कुछ वाकये, कई निर्दोष किस्से रह-रह कर याद आते हैं..। ढूँढ़िए...
लड़ाई हिन्दुस्तानियत बचाने की है
— क़ुरबान अली —
भारत में हाल के दिनों में जो घटनाएं सामने आयी हैं उससे मन बहुत खिन्न है। पहले उत्तराखंड के हरिद्वार में पिछले वर्ष दिसंबर माह की 17 तारीख से लेकर 19 तारीख...
विषमता की खाई में विकास की समाधि
— जयराम शुक्ल —
लोकभाषा के बडे़ कवि कालिका त्रिपाठी ने कभी रिमही में एक लघुकथा सुनाई थी। कथा कुछ ऐसी थी कि..दशहरे के दिन ननद और भौजाई एक खेत में घसियारी कर रही थी।...
चुनावों से पहले
— राजू पाण्डेय —
चुनावों से पहले फिर एक बार देश और हमारे प्रधानमंत्री की सुरक्षा संकट में है। हो सकता है चुनावों के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का मामला उन असंख्य चुनावी मुद्दों...
इसी देश ने ऐसे भी प्रधानमंत्री देखे हैं
— रमाशंकर सिंह —
राजघाट दिल्ली में एक प्रधानमंत्री के बहुत नजदीक पहुँच कर छिप कर मारने के उद्देश्य से गोलियॉं चलीं पर भारत का वह प्रधानमंत्री पूरे कार्यक्रम में पूरी गरिमा और बगैर घबराहट...