एक थे शास्त्री, नाम था यमुनाप्रसाद!
— जयराम शुक्ल —
राजनीति और नेतागिरी आज जिस पतनशीलता के दौर से गुजर रही है, आम आदमी के मुद्दे कारपोरेट के डस्टबिन में डाले...
अग्निवीर या बलि के बकरे?
— रामशरण —
आपको याद होगा जब भारत चीन सीमा पर तनाव चरम पर था सरकार-भक्त मीडिया में एक वीडियो खूब दिखाया गया था। इसमें...
नेहरू का सपना
— कुमार शुभमूर्ति —
हम गांधीवादी लोग नेहरू की कुछ बातों के कटु आलोचक रहे हैं। खासकर उनकी जो औद्योगिक-आर्थिक नीति थी उसे हम गांधी...
इस विनाश की ग्रोथरेट कौन नापे!
— जयराम शुक्ल —
"नीतिग्रंथों में लिखा है कि प्रकृति से हम उतना ही लें जितना कि एक भ्रमर फूल और फल से लेता है।...
एमपी वीरेंद्र कुमार ने राजनीति को ऊपर उठाया और साहित्य को...
— डॉ सुनीलम —
केरल के सबसे बड़े मीडिया समूह मातृभूमि प्रकाशन के प्रबंध निदेशक, लोकप्रिय विधायक, सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री रहे मनियानकोड़ी...
अहिल्याबाई द्वारा कराए गए सफल करार के प्रति द्रोह
— अफ़लातून —
महारानी अहिल्याबाई ने काशी के मंदिर-मस्जिद विवाद का दोनों पक्षों के बीच समाधान कराया - काशी की विद्वत परिषद तथा मस्जिद इंतजामिया...
क्या भगवान की भी जाति होती है?
— गोपाल राठी —
मैंने एक मुस्लिम मित्र को ईद मुबारकबाद का संदेश भेजा तो उसने मुझे परशुरामजी की जयंती का बधाई संदेश भेजा। मैंने...
हिंसक भीड़ ही अब हिन्दुत्व का गौरव है!
— मंजुल भारद्वाज —
मोदी राज में हिंसक भीड़ हिन्दुत्व का गौरव हो गयी है। इस राज में असत्य के प्रयोगों की बाढ़ आ गयी...
वंचितों, शोषितों के शैक्षिक उत्थान में डॉ. आंबेडकर का योगदान
— अंकित कुमार निगम —
अतीत में हिंदुत्ववादी व्यवस्था द्वारा भारत के शोषितों, वंचितों पर अगणित शास्त्रीय नियोग्यताएँ थोप दी गयीं। इनमें से प्रमुख थीं...
‘न्यू इंडिया’ में ‘सीवर’ से सफाईकर्मियों की मौत का बढ़ता ग्राफ
हर नागरिक को गरिमामय जीवन मुहैया कराना लोकतंत्र में सरकार का दायित्व होता है। लेकिन आज जब हम रात-दिन 'न्यू इंडिया' का डंका पीटते...