Tag: ध्रुव शुक्ल
तीर्थ परमार्थ कथा कहता है
— ध्रुव शुक्ल —
तीर्थ जीवन-दर्शन है
उसमें पूर्वज आदर पाते हैं
वह संयम और शील का परीक्षा-स्थान है
जीवन के उपचार का साधन है
ज्ञानी उसको मार्ग कहा...
अपने-अपने अनुमान का मंदिर
— ध्रुव शुक्ल —
१
अपने से अनजान-सी काया में
अपने ही आह्वान का मंदिर है
अपनी ही पहचान की माया में
अपने ही अरमान का मंदिर है
अपने ही...
ये कोई बावरी-सी जिद है
— ध्रुव शुक्ल —
कोई कहता है कि मंदिर है यहाॅं
कोई कहता है कि मस्जिद है
ये कोई बावरी-सी जिद है
ये ख़ुदाई कहीं रहीम-सी लगती है
कहीं...
कहाॅं शरण है, कहाॅं शरण है
— ध्रुव शुक्ल —
कई रूप हैं, कई नाम हैं
कई लोग हैं, कई काम हैं
भरे हुए हैं कितने रंग-ढंग
कई पते हैं, कई धाम हैं
कई शब्द...
बुन्देली बोली के कवि ईसुरी की याद
— ध्रुव शुक्ल —
हंसा फिरें बिपत के मारे, अपने देस बिना रे
जिन बोलियों से मिलकर हिन्दी बनी, उनमें एक बुन्देली बोली भी है। इस...
फिर वही अंधा युग
— ध्रुव शुक्ल —
तीन सितंबर की शाम भोपाल के रवीन्द्र भवन में रंगकर्मी बालेन्द्र सिंह के निर्देशन में उनके 'हम थियेटर' के अभिनेताओं द्वारा...
मौजूदा हालात पर विमर्श का एक प्रस्ताव
— ध्रुव शुक्ल —
1. मतान्धता जीवन को मुश्किल में डाल रही है। संवाद और असहमति का सम्मान घट रहा है। संविधान पर शरीयतों और...
क्या हम मन मिलाना भूल गये हैं?
— ध्रुव शुक्ल —
वेदों ने हमसे कहा कि सब साथ रहकर सुखी होने की कामना करें। उपनिषद कई हैं और प्रत्येक हमें अस्तित्व को...
पैसे ले लो, वोट दे दो!
— ध्रुव शुक्ल —
मध्यप्रदेश में चुनाव का मौसम है। नेता अपने पक्ष में वोटों की पैदावार बढ़ाने के लिए लोकतंत्र की ऊसर पड़ी ज़मीन...
कुमार गंधर्व की महिमा भूलकर भारत भवन मना रहा उनकी जन्मशती
— ध्रुव शुक्ल —
पण्डित कुमार गंधर्व भारत के हृदय प्रदेश के देवास शहर में सुदूर कर्नाटक से संयोगवश उस तीस जनवरी को बसने आये...