Tag: किशन पटनायक
विकल्पहीन नहीं है दुनिया
— डॉ सुनीलम —
दुनिया में जो भी ताकतवर लोग रहे हैं उनकी यह स्थापना रही है कि उनका कोई विकल्प नहीं है। वे यह...
अशोक सेकसरिया की संपादन प्रक्रिया
— कश्मीर उप्पल —
अशोक सेकसरिया, किशन पटनायक और सच्चिदानन्द सिन्हा से मेरी पहली मुलाकात गिरधर राठी ने सन् 1982 में इटारसी में करायी थी।...
मुख्यधारा को मोड़ने वाला कर्मयोगी
— सुनील —
किशन पटनायक को राजनीति और मीडिया की मुख्य धारा में स्थान क्यों नहीं मिला?
साथी जोशी जेकब ने मुझसे यह सवाल पूछा और...
समृद्धि की एक नयी अवधारणा चाहिए
— किशन पटनायक —
(कल प्रकाशित लेख का बाकी हिस्सा)
सन् 1970 के बाद भारत में, और 1980 के बाद रूस और चीन की उम्मीदें कम...
विचारधारा का पतन और अभ्युदय
— किशन पटनायक —
आधुनिक मनुष्य के कालबोध का एक नमूना पिछले दिनों हमारे अनुभव में आया। मनुष्य जाति के आगामी समय को कुछ लोगों...
शिक्षा, सभ्यता और आधुनिकता
— किशन पटनायक —
शिक्षा के प्रयोगों में वैसे तो मेरा अनुभव नहीं के बराबर है फिर भी अस्सी के दशक में मैंने एक प्रयोग...
इतिहास और बदले का सिद्धांत
— किशन पटनायक —
(किशन जी ने यह टिप्पणी सितम्बर 1990 में लिखी थी, और यह उनकी पुस्तक 'विकल्पहीन नहीं है दुनिया' में संकलित है....
धर्म क्या है – किशन पटनायक
(किशन जी ने 1977 से 1981 के बीच सामयिक वार्ता में कुछ लेख 'लोक शिक्षण' स्तंभ के तौर पर लिखे थे, जिनमें उपर्युक्त लेख...
भारतीय समाज को कैसे देखें
— किशन पटनायक —
यह लेख देवीप्रसाद मौर्य की पुस्तक ‘क्रांति के पहले' (प्रकाशक- गंगा प्रसाद तिवारी, चौखंभा प्रकाशन, 9/5 जवाहर मार्ग, इंदौर, मध्यप्रदेश) के प्राक्कथन के...
जहाँ कोई जवाबदेह नहीं है
— किशन पटनायक —
(कल प्रकाशित लेख ‘प्रशासनिक सुधार की चुनौती’ का दूसरा हिस्सा)
दरअसल, न प्रशासन सही शब्द है, न गवर्नेन्स। पारंपरिक शब्द ‘राजा-प्रजा’संबंध दोनों...