Tag: मधु लिमये
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 33वीं किस्त
बंगाल के विभाजन के बाद समूचे देश में आतंकवादी आंदोलन का जाल फैलने लगा। लाहौर में ‘पंजाबी’ नाम के समाचार पत्र को जाप्ता फौजदारी...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 32वीं किस्त
मैकाले जैसे अंग्रेजी लेखकों और प्रशासकों ने बंगालियों की शारीरिक और मानसिक दुर्बलता के बारे में बहुत व्यंग्यात्मक तरीके से लिखते हुए उनकी खिल्ली...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 31वीं किस्त
उग्र पंथ के बंगाल विभाजन विरोधी आंदोलन तथा तिलक जी के राष्ट्रीय पक्ष की देन क्या रही? उन्होंने विदेशी माल का बहिष्कार, सरकार द्वारा...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 30वीं किस्त
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्य में गर्मी लाने का श्रेय एक माने में अंग्रेजी साम्राज्य के सबसे बड़े समर्थक और प्रतिभाशाली वायसराय लार्ड कर्जन...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 28वीं किस्त
कुछ वर्ष और बीते। धीरे-धीरे सीमित संघराज्य की कल्पना का भी परित्याग कर अब इकबाल विशुद्ध पाकिस्तानवादी बन गए। बंबई में ‘बांबे क्रानिकल’ में...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 27वीं किस्त
भारतीय राष्ट्रवाद और इकबाल
बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में विदेशी हुकूमत से मुक्ति पाने की इच्छा ने सभी वर्गों के शिक्षित भारतीयों को प्रभावित किया...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 26वीं किस्त
1936-37 की भांति 1946 में भी हिंदू-मुसलमानों की समस्या का समाधान निकालने के जो प्रयास किए गए उनको कांग्रेसी नेतृत्व ने एक माने में...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 25वीं किस्त
लेकिन इसी बीच कांग्रेस में एक नया नेतृत्व उभर आया। जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए थे और उन्होंने स्वराज्य के उद्देश्य की...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 24वीं किस्त
आगे चलकर मुस्लिम लीग और मुस्लिम नेतृत्व के साथ समझौता करने का एक अन्य मौका 1936-37 में भी कांग्रेस पार्टी को मिला था। उत्तरप्रदेश...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 23वीं किस्त
पाकिस्तान के निर्माण के बाद वहाँ लोकतांत्रिक प्रणाली धीरे-धीरे समाप्त हो गयी। प्रारंभ में पाकिस्तान के प्रशासन में हिंदुस्तान से जो लोग गए थे,...