Tag: मधु लिमये
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 30वीं किस्त
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्य में गर्मी लाने का श्रेय एक माने में अंग्रेजी साम्राज्य के सबसे बड़े समर्थक और प्रतिभाशाली वायसराय लार्ड कर्जन...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 28वीं किस्त
कुछ वर्ष और बीते। धीरे-धीरे सीमित संघराज्य की कल्पना का भी परित्याग कर अब इकबाल विशुद्ध पाकिस्तानवादी बन गए। बंबई में ‘बांबे क्रानिकल’ में...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 27वीं किस्त
भारतीय राष्ट्रवाद और इकबाल
बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में विदेशी हुकूमत से मुक्ति पाने की इच्छा ने सभी वर्गों के शिक्षित भारतीयों को प्रभावित किया...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 26वीं किस्त
1936-37 की भांति 1946 में भी हिंदू-मुसलमानों की समस्या का समाधान निकालने के जो प्रयास किए गए उनको कांग्रेसी नेतृत्व ने एक माने में...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 25वीं किस्त
लेकिन इसी बीच कांग्रेस में एक नया नेतृत्व उभर आया। जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए थे और उन्होंने स्वराज्य के उद्देश्य की...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 24वीं किस्त
आगे चलकर मुस्लिम लीग और मुस्लिम नेतृत्व के साथ समझौता करने का एक अन्य मौका 1936-37 में भी कांग्रेस पार्टी को मिला था। उत्तरप्रदेश...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 23वीं किस्त
पाकिस्तान के निर्माण के बाद वहाँ लोकतांत्रिक प्रणाली धीरे-धीरे समाप्त हो गयी। प्रारंभ में पाकिस्तान के प्रशासन में हिंदुस्तान से जो लोग गए थे,...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 22वीं किस्त
पाकिस्तान और जिन्ना
कालक्रम में हिंदुस्तानी राष्ट्रीयता, इण्डियन नेशन, हिंदू-मुसलमानों के समान हितों पर आधारित एक राष्ट्र जैसी संकल्पनाएं अधिकांश मुसलमानों को अमान्य होने...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 20वीं किस्त
बायझेंटीन साम्राज्य के कुछ हिस्सों में तुर्क राज्य उदित हो गए थे। उनमें से उस्मान नाम के तुर्क नेता के वंशजों ने अपने राज्य...
स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधारा – मधु लिमये : 19वीं किस्त
उन दिनों जिन्ना साहब मुसलमानों से अपील करते थे कि उन्हें केवल अपने समुदाय के हितों और केवल अपने ही संकुचित फायदे-नुकसान का खयाल...