कैदियों की भीड़ कम करने के लिए म.प्र. हाईकोर्ट से अनुरोध

0

10 मई। लाइव लॉ की एक खबर के मुताबिक 27 सिविल सोसाइटी संगठनों, वकीलों, शिक्षाविदों और पत्रकारों के एक समूह ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कोविड की दूसरी लहर के प्रकोप को देखते हुए राज्य की जेलों में भीड़ को तत्काल कम करने का अनुरोध किया है। पत्र पर हस्ताक्षर करनेवालों में एडवोकेट अपार गुप्ता, एडवोकेट गौतम भाटिया, एडवोकेट अरविंद नरेन, प्रो मृणाल सतीश, प्रो प्रीति बक्षी, प्रो नोम चॉम्स्की और प्रो कल्पना कन्नाबिरन शामिल हैं। वैकल्पिक कानून फोरम (ए.एल.एफ.), अनुच्छेद 24 ट्रस्ट, राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल (सीएचआरआई), आपराधिक न्याय और पुलिस जवाबदेही परियोजना (सीजेएपी) जैसे संगठन भी हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल हैं।

पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने चिंता जताई है कि अत्यधिक भीड़भाड़ ने कोविड महामारी की दूसरी लहर में वायरस के तेजी से प्रसार के दौरान कैदियों के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार को खतरे में डाल दिया है। मध्यप्रदेश की 131 जेलों में से 115 काफी भीड़भाड़ वाली हैं, वहीं 7 जेलों में क्षमता से तीन गुना से अधिक कैदी रह रहे हैं।

पत्र में कहा गया है कि जेल की आबादी में वृद्धि की मुख्य वजह पुलिस द्वारा मामूली अपराधों के लिए भी अंधाधुंध गिरफ्तारी है। महामारी के दौरान अदालतों में सीमित कामकाज के कारण भी कैदियों की संख्या में इजाफा हुआ है।

पत्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करता है कि वे जमानत देने, आपातकालीन पैरोल देने और नालसा द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार अंडरट्रायल समीक्षा समितियों के कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here