Tag: Contemporary Hindi Poetry
शिवदयाल की तीन कविताएं
1. हंसों के साथ
हंसों के साथ
कुछ देर उड़ लेने से
कौवा हंस नहीं हो जाता
कौवा भी यह बात
अच्छी तरह जानता है
कौवे का होना हंस होना...
मिथिलेश श्रीवास्तव की पॉंच कविताऍं
1. एक नागरिक का बयान
(सुविख्यात इतिहासकार इरफ़ान हबीब को समर्पित)
बौद्ध मठों को तोड़कर मंदिर बनाए गए
मंदिरों को तोड़ कर मस्ज़िद बनाए गए
मस्ज़िदों को तोड़...
भगवत रावत की कविता
जो रचता है वह मारा नहीं जा सकता
मारने से कोई मर नहीं सकता
मिटाने से कोई मिट नहीं सकता
गिराने से कोई गिर नहीं सकता
इतनी सी...
मुक्ता की तीन कविताएं
1. डफली बजाता आदमी
डफली बजाता आदमी गाता था झूमकर
पहाड़ों, नदियों को वह बुलाता था टेर दे देकर
डफली बजाते आदमी के गीतों पर पग धरते...
श्रीविलास सिंह की चार कविताऍं
1. सड़कें कहीं नहीं जातीं
सड़कें कहीं नहीं जातीं
वे बस करती हैं
दूरियों के बीच
सेतु का काम,
दो बिंदुओं को जोड़ती
रेखाओं की तरह,
फिर भी
वे पहुँचा देती हैं
हमारे...
डॉ एम.डी. सिंह और अनिल सिन्हा की कविताएं
— एम.डी. सिंह —
1. चलिए जीते हैं !
गणनाओं से मुक्त होकर
चलिए जीते हैं उन्मुक्त होकर
वहां जहां संसार भी हम ही हों
देश भी हम ही
पूर्ण भी...
इस दौर को दर्ज करती कविताएं
— विमल कुमार —
नवें दशक के आरम्भ में जिन कवयित्रियों ने बहुत जल्दी अपनी पहचान बनायी थी उनमें एक निर्मला गर्ग भी हैं, यद्यपि...
प्रियंकर पालीवाल की पांच कविताएं
1. सबसे बुरा दिन
सबसे बुरा दिन वह होगा
जब कई प्रकाशवर्ष दूर से
सूरज भेज देगा
‘लाइट’ का लंबा-चौड़ा बिल
यह अंधेरे और अपरिचय के स्थायी होने का दिन...
गोलेन्द्र पटेल की दो कविताएं
मुसहरिन मॉं
धूप में सूप से
धूल फटकारती मुसहरिन मॉं को देखते
महसूस किया है भूख की भयानक पीड़ा
और सूंघा मूसकइल मिट्टी में गेहूं की गंध
जिसमें जिन्दगी...
विलुप्त होती प्रकृति की चिंता
— विमल कुमार —
हाल के वर्षों में हिंदी में कुछ ऐसी कवयित्रियां सामने आयी हैं जिनकी रचनाओं में बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक चेतना परिलक्षित...