Tag: Contemporary Hindi Poetry
सुमन मौर्य की तीन कविताएँ
1. युद्ध और इतिहास
जब भी लड़े जाते हैं युद्ध
हर बार मरता है एक मनुष्य
लड़ती हैं इच्छाएँ, कुत्साएँ और अहं
घायल होती मनुष्यता के चीथड़े उड़ाती...
लोक से संवाद और संवेदना की कविताएं
— रामप्रकाश कुशवाहा —
चन्द्रेश्वर वैसे कवियों मे से एक हैं जो कवि तो पहले से थे लेकिन जिनकी मौलिक ढंग से हस्तक्षेपकारी कवि के रूप में ...
शैलेन्द्र चौहान की चार कविताऍं
1. ईहा
सारंगी के तारों से झरता
करुण रस
हल्का हल्का प्रकाश
कानों में घुलने लगते मृदु और दुखभरे गीत
शीर्षहीन स्त्री
सारंगी तू सुन
मद्धम सी धुन
अनवरत तलाश एक चेहरे की
हाथ,...
कुमार अंबुज की दो कविताएं
पुश्तैनी गाँव के लोग
वहाँ वे किसान हैं जो सोचते हैं
अब मज़दूरी करना कहीं बेहतर है
जबकि मानसून भी ठीक–ठाक ही है
पार पाने के लिए उनके...
तीन कवि, तीन कविताएं
— श्रवण गर्ग —
बहती होगी कहीं तो वह नदी !
कहीं तो रहती होगी वह नदी !
बह रही होगी चुपचाप
छा जाते होंगे ओस भरे बादल
जिसकी...
हरीश चन्द्र पाण्डे की दो कविताएँ
1. किसान और आत्महत्या
उन्हें धर्मगुरुओं ने बताया था प्रवचनों में
आत्महत्या करने वाला सीधे नर्क जाता है
तब भी उन्होंने आत्महत्या की
क्या नर्क से भी बदतर...
रामप्रकाश कुशवाहा की चार कविताएं
1. ईश्वर के भरोसे
कुछ कहते हैं कि यह देश चल रहा ईश्वर के भरोसे
मैं कहता हूं कि नहीं अब भी इसे चला रहीं
करोड़ों परिवार...
देवेन्द्र मोहन की तीन कविताएँ
1. हुसेन का जंगपुरा एक्सटेंशन 1968
जून महीने की तपती हुई बरसाती।
नीचे दोपहर की खाली सड़क
घेरे में लिये पूरी तरह वही बेहद तपती धूप
सारे...
निर्मला गर्ग की चार कविताएं
1. पंखा
खीर-पूड़ी नहीं बनायी इस बार पितर पक्ष में
न पंडित जिमाए
न दी दान-दक्षिणा
एक पंखा खरीदा छत से लटकाने वाला
दे आयी दर्जी मज़ीद अहमद को
इमारत...
अशोक वाजपेयी की चार कविताएँ
1. थोड़ा-सा
अगर बच सका
तो वही बचेगा
हम सबमें थोड़ा-सा आदमी-
जो रौब के सामने नहीं गिड़गिड़ाता,
अपने बच्चे के नम्बर बढ़वाने नहीं जाता मास्टर के घर,
जो रास्ते पर...