Tag: diwali
हमारी संस्कृति बांसुरी, बारूद नहीं!
— जयराम शुक्ल —
हाँ मैं पटाखे और आतिशबाजी के खिलाफ हूँ। बारूद चाहे छुरछुरी का हो या तोप के गोलों का, वह चरित्र से...
चकाचौंध: अनैतिक सत्ता का दंभ है यह दीपोत्सव
— रमाशंकर सिंह —
छुटपन से ही रामचरितमानस का पारायण करते हुये और बाद में भी श्रीरामचरित को समझते हुये जितना जैसा मैं रामायण के...
दिवालिया समय में दीवाली
— उमेश प्रसाद सिंह —
जीवन केवल बाहर-बाहर ही नहीं है। जीवन केवल भीतर-भीतर भी नहीं है। भीतर और बाहर की समन्विति में ही जीवन...
सवाल बचाव का है, परम्परा का नहीं
— ईशान चौहान —
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया, यह कहते हुए कि आम जनता के स्वास्थ्य के...