— अरुण कुमार त्रिपाठी — गांधी और आंबेडकर के टकरावों और समन्वय के बाद भारतीय समाज में आए परिवर्तन पर आज भी बहस चल रही है और आगे भी चलती …
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— अरुण कुमार त्रिपाठी — गांधीजी डा आंबेडकर से सतत संवाद चाहते थे और उन्हें अपने नेतृत्व में सक्रिय करना चाहते थे। पर ऐसा गांधीजी के चिंतन और उससे ज्यादा …
— अरुण कुमार त्रिपाठी — आंबेडकर को कैबिनेट में शामिल कराने में गांधी ने किस तरह भूमिका निभाई इसका प्रमाण डा आंबेडकर के जीवनीकार डा सीबी कैरमोड़े प्रस्तुत करते हैं। …
— अरुण कुमार त्रिपाठी — दरअसल डा आंबेडकर कांग्रेस, अंग्रेज सरकार, हिंदूवादी संगठनों और मुस्लिम लीग के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए अस्पृश्य वर्ग के लिए सत्ता प्राप्त करने की सौदेबाजी …
— अरुण कुमार त्रिपाठी — बयालीस के आंदोलन में गिरफ्तार हुए गांधीजी ने आगाखान पैलेस में 10 फरवरी 1943 को 21 दिन का उपवास शुरू किया। उनका उद्देश्य अपना पक्ष …
— अरुण कुमार त्रिपाठी — डा आंबेडकर ने गांधी के वर्णाश्रम धर्म की खिल्ली उड़ाते हुए लिखा, “मुझे दोष न दिया जाए अगर मैं प्रश्न करूँ कि महात्मा ने अपने …
— अरुण कुमार त्रिपाठी — गांधी येरवदा जेल में बंद थे और सरदार पटेल और नारायण देसाई के साथ यह कयास लगा रहे थे कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमसे मैकडोनाल्ड कम्यूनल …
— अरुण कुमार त्रिपाठी — महात्मा गांधी और डा आंबेडकर के बीच दूसरा टकराव गोलमेज सम्मेलन के दौरान लंदन में हुआ। आंबेडकर लंदन 29अगस्त को पहुँच गए थे और गांधी …
— डॉ योगेन्द्र — ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्से मैक्डोनाल्ड ने 17अगस्त 1932 को जब कम्युनल एवार्ड की घोषणा की तो इससे डॉ भीमराव आंबेडकर नाराज थे। उन्होंने अपनी नाराजगी इन शब्दों …
— पुनीत — गांधी को हम जितना दबाने की कोशिश करते हैं उनकी स्मृति उतनी प्रबलता से लौट आती है। आज की राजनीति मूल्यविहीन हो गई है, इसमें कोई दो …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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