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कोरोना काल पर कुछ कविताएं
— विनोद दास —
कोरोना में चांद
शाखों के बीच
झांक रहा है उदास चांद
खोज रहा है कबूतर सी प्रणय भरी आँखें
गौरैया ग्रीवा सरीखे काँपते-धड़कते दिल
मीठी गप्पें
गुनगुनाते...