Tag: Hindi Poet Kunwar Narayan
कुंवर नारायण की कविता
अंतिम ऊंचाई
कितना स्पष्ट होता आगे बढ़ते जाने का मतलब
अगर दसों दिशाएं हमारे सामने होतीं,
हमारे चारों ओर नहीं।
कितना आसान होता चलते चले जाना
यदि केवल हम...