— पंकज — सभी जानते हैं कि जिन्ना को इस बात की गहरी आशंका थी कि आजाद भारत में बहुसंख्यक हिन्दू राजनीति व सत्ता के शीर्ष पर मुसलमानों को उनके …
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— डॉ सुरेश खैरनार — तीन साल पहले 370 हटाकर राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे केंद्रशासित प्रदेश में बदलकर रख दिया! जबकि भारत में कश्मीर के विलय की शर्तों …
आगे चलकर मुस्लिम लीग और मुस्लिम नेतृत्व के साथ समझौता करने का एक अन्य मौका 1936-37 में भी कांग्रेस पार्टी को मिला था। उत्तरप्रदेश में मुस्लिम लीग और कांग्रेस के …
ब्रिटेन से लौटने के बाद भी राष्ट्रीय एकता के बारे में मुहम्मद अली जिन्ना ने कुछ वर्ष अपनी राय नहीं बदली थी। अभी भी वे हिंदू और मुसलमानों को एक …
उन दिनों जिन्ना साहब मुसलमानों से अपील करते थे कि उन्हें केवल अपने समुदाय के हितों और केवल अपने ही संकुचित फायदे-नुकसान का खयाल नहीं करना चाहिए। सात करोड़ मुसलमानों …
मोहम्मद अली जिन्ना अपने प्रारंभिक वर्षों में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य थे। वे न केवल पक्के देशभक्त थे, बल्कि सभी किस्म के संकुचित और सांप्रदायिक विचारों से भी मुक्त …
भारतीय राष्ट्रवाद और जिन्ना मोहम्मद अली जिन्ना निःसंदेह मुसलमानों के सबसे शक्तिशाली नेता थे। जिन्ना साहब और गांधीजी का अगर हम तुलनात्मक अध्ययन करें तो कई विचित्र समानताएं दोनों में …
— राजू पाण्डेय — पिछले तीन–चार वर्ष से श्री वी.डी. सावरकर को प्रखर राष्ट्रवादी सिद्ध करने का एक अघोषित अभियान कतिपय इतिहासकारों द्वारा अकादमिक स्तर पर अघोषित रूप से चलाया …
— नंदकिशोर आचार्य — (यह लेख तब लिखा गया था जब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पाकिस्तान गये थे और जिन्ना के बारे में उनके एक कथन …
वेब पोर्टल समता मार्ग एक पत्रकारीय उद्यम जरूर है, पर प्रचलित या पेशेवर अर्थ में नहीं। यह राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक समूह का प्रयास है।
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