Tag: kishan Pattanayak
जहाँ कोई जवाबदेह नहीं है
— किशन पटनायक —
(कल प्रकाशित लेख ‘प्रशासनिक सुधार की चुनौती’ का दूसरा हिस्सा)
दरअसल, न प्रशासन सही शब्द है, न गवर्नेन्स। पारंपरिक शब्द ‘राजा-प्रजा’संबंध दोनों...
प्रशासनिक सुधार की चुनौती
— किशन पटनायक —
इस विषय पर लिखते हुए मुझे कुछ पीड़ा होती है। लोकतंत्र को आम आदमी के लिए अर्थवान बनाने की दृष्टि से,...
एक अनूठे समाजवादी नायक किशन पटनायक
— आनंद कुमार —
भारतीय समाजवादी आन्दोलन की लम्बी नेतृत्व श्रृंखला में किशन पटनायक (30 जून 1930 – 27 सितम्बर 2004) एक अनूठे नायक थे।...
राजनीति में नैतिकता का नियामक कौन है
— किशन पटनायक —
राजनीति एक व्यवहार है। जैसे-जैसे किसी राजनैतिक व्यक्ति या समूह की क्षमता औ प्रभाव बढ़ने लगता है, उसको अपने आदर्श और...
लागत और कीमत का रिश्ता
(यह लेख अगस्त 1977 में लिखा गया है। इसमें कई जगहों पर विभिन्न चीजों की कीमतों और सरकार या सत्तारूढ़ दल आदि का जो...
महँगाई कैसे रोकें
— किशन पटनायक —
(यह लेख अगस्त 1977 में लिखा गया था। इसमें कई जगहों पर विभिन्न चीजों की कीमतों और सरकार या सत्तारूढ़ दल...
जन आंदोलनों को अपनी राजनीति घोषित करनी होगी
— किशन पटनायक —
चुनाव होता है राजनीतिक सत्ता-केंद्रों के लिए। संसद, विधानसभा, पंचायत– ये सब राजनीतिक सत्ता-केंद्र हैं। उनके समानान्तर समाज के अंदर बहुत...
चुनाव परिवर्तन का माध्यम कैसे बने
— किशन पटनायक —
(यह लेख अप्रैल 1996 में लिखा गया था)
चुनाव के अध्ययन का एक शास्त्र बना हुआ है। मतदान का आकार-प्रकार किस तरह...
सेकुलर कौन है? – किशन पटनायक
राजनीति में जब कोई अपने को सेकुलर कहता है तो उसका अर्थ है ‘धर्मनिरपेक्ष’। मतलब है कि हमारी राजनीति से धर्म का कोई वास्ता...
सांप्रदायिकता के विरुद्ध एक कार्यक्रम – किशन पटनायक
( दूसरी किस्त )
संघ परिवार की हाल की गतिविधियों से उसका जनाधार निश्चित रूप से बढ़ा है। लेकिन भारतीय समाज और हिन्दू धर्म के...