Tag: Nandkishore Acharya
विकास की वैकल्पिक अवधारणा की जरूरत
— नंदकिशोर आचार्य —
भारत की अर्थव्यवस्था की दुर्गति का एक महत्त्वपूर्ण बल्कि शायद सर्वाधिक प्रमुख कारण हमारी अर्थनीति के संचालकों और उनके सलाहकारों की...
संस्कृति का केन्द्रीकरण क्यों?
— नंदकिशोर आचार्य —
आधुनिक प्रौद्योगिकी अनिवार्यतः केन्द्रीकरण और एकाधिकारवादी प्रवृत्तियों को जन्म देती और उन्हें पुष्ट करती है- और स्वाभाविक है कि ये प्रवृत्तियाँ...
भयभीत करने वाली सफलता
— नन्दकिशोर आचार्य —
इस बार जब बीकानेर से वर्धा आ रहा था तो यात्रा में छात्रों के एक समूह से हुई मुलाकात ने बड़ी...
संस्कृति है सत्याग्रह
— नन्दकिशोर आचार्य —
सत्याग्रह का तात्पर्य, सामान्यतः, अन्याय के अहिंसात्मक प्रतिरोध से लिया जाता है, जो निश्चय ही इस का एक आयाम- और जरूरत...
मानवाधिकार हैं सांस्कृतिक अस्मिता का आधार
— नन्दकिशोर आचार्य —
संस्कृति या परंपरा के नाम पर मानवाधिकारों और कानून-सम्मत प्रक्रियाओं पर आघात करने वाली घटनाएँ आये दिन देखने को मिलती रहती...
गांधी, आंबेडकर और दलित
— नंदकिशोर आचार्य —
दलित वर्ग के प्रति महात्मा गांधी और बाबासाहब आंबेडकर की नीति को लेकर काफी अरसे से एक अनावश्यक और निरर्थक बहस...
विकेन्द्रीकरण का नया मिथ – नंदकिशोर आचार्य
कम्प्यूटर क्रान्ति के विस्फोट के बाद विकेन्द्रीकरण को लेकर एक मिथ व्यापक स्तर पर प्रचलित हो रहा है कि अब केन्द्रीकृत उत्पादन की आवश्यकता...
उदारीकरण का आधार अनुदार राज्य – नंदकिशोर आचार्य
अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का सीधा और साफ तात्पर्य यही है कि उसे बाजार के नियमों के अनुसार चलने दिया जाय और उसमें राज्य का...