Tag: Poem of Harishankar Parsai
हरिशंकर परसाई की कविता
जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूॅं मैं?
किसी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझको
नहीं है पद चिह्न का आधार भी दरकार...
हरिशंकर परसाई की कविता
जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूँ मैं
किसी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझको
नहीं है पद चिह्न का आधार भी दरकार...