Tag: Shravan Garg
गांधी का ‘डांडी मार्च‘ ‘डंडा मार्च’ में बदल दिया गया है!
— श्रवण गर्ग —
महात्मा गांधी का विचार और उनकी ज़रूरत वर्तमान की विभाजनकारी राजनीति के लिए चरखे के बजाय मशीनी खादी से बुनी गई...
तीन कवि, तीन कविताएं
— श्रवण गर्ग —
बहती होगी कहीं तो वह नदी !
कहीं तो रहती होगी वह नदी !
बह रही होगी चुपचाप
छा जाते होंगे ओस भरे बादल
जिसकी...
बठिंडा से उठा बवाल बवंडर नहीं बन पाया!
— श्रवण गर्ग —
देश के आम नागरिकों को कुछ भी सूझ नहीं रहा है कि कोरोना की नयी लहर में अपनी स्वयं की रक्षा...
जुगनू जहां भी रहे उजाला ही फैलाते रहे
— श्रवण गर्ग —
जुगनू शारदेय को याद करने के लिए सैंतालीस साल पहले के ‘बिहार छात्र आंदोलन’ (1974 )के दौरान पटना में बिताये गये...
श्रवण गर्ग की चार कविताएं
नहीं मरा है कोई ऑक्सिजन की कमी से कहीं !
मान सकते हैं आप इसे एक शुरुआत भी
नहीं बचे रहने की हममें किसी इंसान की...
विभाजन की विभीषिका को याद करने का मकसद क्या है
— श्रवण गर्ग —
स्वतंत्रता दिवस (पंद्रह अगस्त) के एक दिन पूर्व यानी चौदह अगस्त का दिन अब देश में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के...
बोलते रहना जरूरी है
— श्रवण गर्ग —
कुछ पर्यटक स्थलों पर ‘ईको पाइंट्स’ होते हैं जैसी कि मध्यप्रदेश में प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान माण्डू और सतपुड़ा की रानी के...