Tag: Vinod Das
पोल कवयित्री विस्वावा शिम्बोर्स्का की दो कविताएँ
यास्लो के निकट अकाल शिविर
यह लिख लो, मामूली कागज़ पर
मामूली स्याही से लिख लो- उन्हें खाना नहीं दिया गया
वे सब भूख से मर गये– हाँ! सबके...
उनके जैसा निस्पृह और परदुख कातर नहीं देखा
— विनोद दास —
हम ऐसी अनेक कथाएं सुनते रहते हैं जहाँ लोग अपनी संपत्ति त्यागकर साधु-संत का जीवन अपना लेते हैं। ऐसे भी अनेक...
सड़क पर मोर्चा
— विनोद दास —
हम जानते हैं
रेल पटरियां ठिकाने पर पहुंचने के लिए हैं
कटकर मरने के लिए नहीं
सड़क चलने के लिए है
बैठने के लिए...