समता मार्ग
नई दिल्ली। कृषि, किसानों और खाद्य सुरक्षा को बचाने के उद्देश्य से कुछ युवाओं ने मिट्टी सत्याग्रह का आयोजन किया है। इस सत्याग्रह के माध्यम से देश के जल, जंगल, जमीन, प्राकृतिक संसाधनों और साथ ही आजीविका को बचाने की कोशिश की जा रही है। यह सत्याग्रह लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए भी है। विभिन्न राज्यों में विभिन्न संगठन विभिन्न रूप से कार्यक्रमों का समन्वय कर रहे हैं। वे गाँवों के प्रमुख ऐतिहासिक स्थानों, आजादी के नायकों की प्रतिमाओं और संघर्ष के प्रतीकों से एक मुट्ठी मिट्टी कलश में इकट्ठा करेंगे और लोगों से संवाद करेंगे।
मेधा पाटकर, सुनीलम, सुनीति सु.र, फ़िरोज़ मीठीबोरवाला, गुड्डी की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक मिट्टी सत्याग्रह यात्रा विकेन्द्रित रूप में 12 मार्च से 28 मार्च तक देश के कई राज्यों में जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, असम और पंजाब में जन संवाद अभियान चला रही है। मिट्टी सत्याग्रह यात्रा 30 मार्च को दांडी से शुरू होकर गुजरात के अन्य जिलों से होकर, फिर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के कई जिलों से होकर 5 अप्रैल की सुबह 9 बजे शाहजहाँपुर (दिल्ली-राजस्थान) बॉर्डर पहुँचेगी।
यात्रा के आखिरी दौर में पूरे देश की विकेन्द्रित यात्राएँ किसान धरना स्थलों पर अपने राज्य की मिट्टी के कलश के साथ यात्रा में शामिल होंगी। शाहजहाँपुर बॉर्डर से सत्याग्रही यात्री टिकरी बॉर्डर जाएँगे। अप्रैल 6 की सुबह 9 बजे सिंघु बॉर्डर और शाम 4 बजे गाजीपुर बॉर्डर पहुँचेंगे। बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के सभी वरिष्ठ किसान साथी इस मिट्टी सत्याग्रह यात्रा का हिस्सा बनेंगे। पूरे देश से आई मिट्टी किसान आंदोलन के शहीदों को समर्पित की जाएगी। बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाए जाएंगे।
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