भवानी प्रसाद मिश्र की कविता – मेरा दुख

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' रेखांकन ' मुकेश बिजोले

एक पहाड़ से

निकला था मेरा दुख

बियाबानों में से

और बहा फिर वह

मैदानों में

खेतों तक

ले गए उसे लोग

तो वह गया

और हरे किए उसने

घावों की तरह

इनके उनके

सबके सुख

दुख मेरा

एक पहाड़ से निकला था

और पार करके मैदानों को

मिल गया सागर से

कई बातें हुई हैं

इसके साथ

बहुत कुछ गुजरा है इस पर

पहाड़ से सागर तक पहुंचने में

और दुख ने मेरे

ज्यादातर

अच्छा माना है

उस सबको

सिवा इसके कि बना दिए

लोगों ने उसके ऊपर पुल

कि छूने न पाए

मेरा दुख उन्हें!

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