‘ऑपरेशन क्लीन’ का जवाब ‘ऑपरेशन शक्ति’ से देंगे किसान

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19 अप्रैल। किसान आंदोलन ने सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन क्लीन’ की धमकी का मुकाबला ‘ऑपरेशन शक्ति’ से करने की रणनीति बनाई है। इस रणनीति के तहत एक तरफ तो किसान ‘प्रतिरोध सप्ताह’ मनाकर सभी मोर्चों पर कोरोना का मुकाबला करने का पुख्ता इंतजाम करेंगे तो दूसरी तरफ अगले सप्ताह से किसानों को वापस अपने मोर्चों पर आने का आह्वान किया गया है। शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में बनी इस योजना का खुलासा आज सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया गया।

पिछले कुछ दिनों से यह संकेत मिल रहे हैं कि सरकार कोरोना संक्रमण के बहाने किसान आंदोलन को खत्म करने की साजिश रच रही है। मीडिया में कई रिपोर्ट आई है कि विधानसभा चुनाव पूरा होते ही ऑपरेशन क्लीन के नाम से हरियाणा और केंद्र सरकार ने किसानों के मोर्चों पर हमला कर उसका सफाया करने की योजना बनाई है। इसी योजना की भूमिका बनाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट के चलते किसान आंदोलन को खत्म करने की अपील का नाटक भी किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर ऐसी कोई कार्रवाई हुई तो किसान उसका डटकर मुकाबला करेंगे।

इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए किसान आंदोलन ने दोहरी रणनीति बनाई है। एक ओर तो संयुक्त किसान मोर्चा ने कटाई का काम पूरा होते ही सभी किसानों को अपने अपने मोर्चे पर वापस आने का आह्वान किया है। भारतीय किसान यूनियन (उग्राहा) पहले ही अपने सदस्यों को 21 अप्रैल से टिकरी बॉर्डर पर पहुंचने का आह्वान कर चुका है। इसका स्वागत करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने बाकी सभी संगठनों से आग्रह किया है कि वे भी किसानों को 24 अप्रैल से ‘फिर दिल्ली चलो’ का आह्वान कर अपने मोर्चों पर पहुंचने का कार्यक्रम बनाएं। ज्ञात हो कि 24 अप्रैल को किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बाहर चल रहे किसान संघर्ष के 150 दिन पूरे हो रहे हैं।

इसके साथ-साथ संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी फैसला किया है कि आनेवाले एक सप्ताह में मोर्चे की तरफ से कोरोना का मुकाबला करने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। कोरोना संक्रमण नया नहीं है। दिल्ली के बाहर मोर्चे लगाते समय भी देश में कोरोना का संक्रमण फैला हुआ था। लेकिन पिछले पांच महीनों में किसान आंदोलन के किसी भी मोर्चे में कभी भी कोरोना संक्रमण फैलने की खबर नहीं आई है। इसलिए सरकार द्वारा किसान आंदोलन पर उंगली उठाने का कोई आधार नहीं है। कोरोना का मुकाबला करने में बीजेपी सरकारों का निकम्मापन और पाखंड अब पूरे देश के सामने आ चुका है जबकि खुद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री विधानसभा चुनाव में बड़ी से बड़ी भीड़ जुटाने का दावा कर रहे हैं। इस सरकार को किसानों को महामारी से बचने की नसीहत देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कोरोना की आड़ में सरकार द्वारा जनता में डर फैलाने, आम जनता पर दोष डालने, उनपर जुर्माना ठोकने और कॉरपोरेट घरानों को मुनाफे की खुली छूट देने की निंदा की है।

संयुक्त मोर्चा ने अपने बयान में यह भी कहा है कि सरकार की इस दोमुंही और गैर-जिम्मेदाराना हरकतों की आड़ में किसान आंदोलन अपनी जिम्मेवारी से पीठ नहीं मोड़ेगा। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि सभी मोर्चों पर मंगलवार 20 अप्रैल से लेकर सोमवार 26 अप्रैल तक ‘प्रतिरोध सप्ताह’ मनाया जाएगा जिसके तहत कोरोना का मुकाबला करने के लिए निम्नलिखित इंतजाम किए जाएंगे :

  • सभी मोर्चों पर हर ट्रॉली या टेंट में कोरोना से बचाव के लिए सावधानियों की जानकारी दी जाएगी।
  • सभी मोर्चों पर किसानों को मास्क उपलब्ध करवाए जाएंगे और उसके इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • सभी मोर्चों पर वैक्सीनेशन कैंप का इंतजाम किया जाएगा ताकि 45 साल से ज्यादा उम्र के किसान टीका लगवा सकें।
  • मोर्चों पर होनेवाली दैनिक बैठकों में भीड़ के चलते संक्रमण फैलने से रोकने के इंतजाम किए जाएंगे।
  • सभी मेडिकल कैंप में थर्मामीटर, मास्क और ऑक्सीमीटर की संख्या बढ़ाई जाएगी। कोविड-19  के लक्षण दिखने पर तुरंत इलाज की व्यवस्था की जाएगी।
  • कोविड से बचाव और इलाज में संयुक्त किसान मोर्चा स्थानीय प्रशासन से पूरा सहयोग करेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया है कि प्रस्तावित संसद मार्च की तारीख और उसके स्वरूप की घोषणा उचित समय पर परिस्थितियों के मूल्यांकन के बाद की जाएगी। दिल्ली पुलिस द्वारा किसान नेताओं को मारने की योजना के आरोप में कुछ शार्प शूटर को गिरफ्तार करने की खबर पर चिंता व्यक्त करते हुए मोर्चा ने मांग की है कि इसका ब्योरा सार्वजनिक किया जाए ताकि पिछली बार की तरह पुलिस ऐसे षड्यंत्रों पर पर्दा न डाल पाए। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के सभी टोल प्लाजा को टोल मुक्त करने के अपने आह्वान को दोहराते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने बाकी टोल प्लाजा को भी टोल मुक्त करने का कार्यक्रम घोषित किया।

किसान आंदोलन को और मजबूत करने के लिए आगामी 10 मई को देशभर से किसान संगठनों और किसान आंदोलन के हितेषी मजदूर, विद्यार्थी, युवा और अन्य लोकतांत्रिक संगठनों के प्रतिनिधियों का एक विशेष सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। सन 1857 में इसी दिन देश की स्वाधीनता का पहला संग्राम शुरू हुआ था।

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