चन्द्रकला त्रिपाठी की कविताएँ

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पेंटिंग : कौशलेश पांडेय

1.

बद्दुआएं हैं कि हैरान हैं

 

सड़कें चाहने लगीं हैं कि वे इन दिनों मखमल हो जाएं

मौसम नम होना चाहते हैं

आग भस्म कर देना चाहती है प्रेम के सारे प्रदर्शन

पृथ्वी हिल रही है कि सही करवट जीना चाहती है

पत्थर शोक में हैं कि वे इतने पत्थर तो नहीं थे

मसखरे क़समें उठा रहे हैं कि उनके जुमले झूठे नहीं होते
बस नकाब खींचते रहे हैं

जानवर चाहते हैं कि वे भी कोई किताब लिखें इंसानों के बारे में
लिखें कि उनके लिए बेरहम होने का अर्थ इंसान होना हुआ जा रहा है

चीलें गिद्ध सियार सभी मरघटों पर इतनी बरक़त नहीं चाहते थे
इतना बड़ा नहीं है उनका पेट

माएं अब बांझ होना चाहती हैं

बद्दुआएं हैं कि हैरान हैं
वे सही जगह लगती ही नहीं

पेंटिंग : अशोक भौमिक

2.

मरघट पर बरकत के समय में

धीमें बहुत धीमें चलती दिखती हैं चींटियां
बेसब्री दिखाने भर काया नहीं उनके पास

बहुत झुक कर नहीं उड़ते पक्षी
हवा छितराने के लिए भी नहीं

बहुत दिनों से सन्नाटा है इधर
उन्हे तो इधर का ही पता है

सूख चुका है बगल की बस्ती का हैंडपंप
अगल की कॉलोनी में पानी अभी बाक़ी है

बांध कर ले जाया जा रहा है भगेलू
उसका असली नाम भी अब यही हो गया है
पांच बजे बंद कर देनी थी अंडे की दुकान
वह आठ बजे अपने ठेले के साथ पकड़ा गया
पीछे पीछे दौड़ती जा रही है नसीमा
चिल्ला नहीं रही है
सिर्फ़ बिलख रही है

उसके पीछे कोई खोल ले जाएगा उसकी बकरी
आसपास बहुत दिनों से उपवास चल रहा है

नीरज को अब से आधी तनख्वाह भी नहीं मिलेगी
सुधा को नहीं मिल रहा है साड़ियों में फाल टांकने का काम भी
पढ़े-लिखे दोनों भीख मांगने में हिचकते हैं
छ: महीने के छोटे बच्चे के लिए भी जीना नहीं चाहते

किसी की कुंडी खटकी तो पृथ्वी तक कांप गई
क्या है ? कोई कुरस हो कर चिल्लाया
स्त्री ने फोंफर से देखा उस दूसरी स्त्री को
उसकी उम्र कम थी और वह कांप रही थी
उसके हाथ में गीली हुई पर्ची कांपती इस हांथ में चली आई और वह स्त्री अदृश्य हो गई
फोन नंबर था उस पर एक
पानी से पसर गए थे नंबर मगर बाक़ी थे

क्या है क्या है ?
वाली आवाज़ सख़्त थी
दूसरों के झमेले में कोई नहीं पड़ता आजकल

बहुत दिनों से उस घर में स्त्री के नहीं होने की आवाज़ है
बाक़ी आवाज़ें अब ज़्यादा हैं , जैसे घिसटती हुई रुकतीं है बड़ी गाड़ियां और
सन्नाटे में किसी के नहीं होने को बार बार सुना जाता है

स्त्री ने हिम्मत करके उस नंबर पर फोन कर दिया मगर तब नहीं किया जब
ख़त्म होने से पहले कुछ बचा लिया जाता है

बचा तो वह भी नहीं
वह छ: महीने का बच्चा भी

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