बड़वानी में भारी बारिश के बावजूद हुई जन संसद, उमड़ा जन सैलाब

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17 अगस्त। नर्मदा बचाओ आंदोलन के 36 साल पूरे होने पर मंगलवार को बड़वानी (मप्र) में आयोजित नर्मदा किसान मजदूर जन संसद में देशभर के प्रतिनिधियों ने सरकार को चेतावनी दी कि वह तीनों कृषि कानून तथा बिजली संशोधन बिल तत्काल वापस ले और कारपोरेट तथा अडानी, अंबानी के लिए काम करना बंद करे। इस जन संसद में न केवल मध्यप्रदेश बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात सहित देशभर के कई जाने-माने जन संगठनों के नेता जन सांसद के रूप में मौजूद थे। सौ से अधिक जन सांसदों की जन संसद में 20 से ज्यादा वक्ताओं ने अपनी बात रखी और अंत में पारित जनादेश में कहा गया कि तीन राज्यों तथा केंद्र शासन की ओर से जबरन भू अधिग्रहण, नर्मदा घाटी की उपजाऊ भूमि, पहाड़ी जंगल, पेड़ तथा सांस्कृतिक धार्मिक धरोहर का विनाश तथा किसान विरोधी नजरिए का प्रतीक रहा है। सरकार अपनी इस मनोवृत्ति को बदले और 1893 के कानून के आधार पर अधिग्रहण, विभिन्न समुदायों की आजीविका के साधनों को छीनना, डुबोना और नष्ट करना बंद करे।

जन संसद के पहले विजय स्तंभ चौक से शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद विशाल रैली शुरू हुई। इसमें देश भर से आए नुमाइंदों और किसान नेताओं का जगह-जगह स्वागत हुआ। क्रांतिकारी गीतों और नारों के साथ यह रैली पूरे बड़वानी शहर में घूमते हुए कृषि उपज मंडी प्रांगण में पहुंचकर जन संसद में बदल गयी।

जन संसद की अध्यक्षता किसान संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, हन्नन मौला, योगेंद्र यादव, डॉ सुनीलम गुरजीत कौर, पूनम पंडित सहित 8 सदस्य सभापति मंडल ने की। इनके अलावा बड़वानी के बाहर से आए प्रमुख लोगों में डॉ सुनीलम, शहीदे आजम भगतसिंह की भांजी गुरजीत कौर सहित देशभर के कई जाने-माने पर्यावरणविद, जन आंदोलनों के नेता तथा राजनीतिक- सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। इस जन संसद में मध्यप्रदेश के बड़वानी, खरगोन, धार, झाबुआ, ललाम, उज्जैन, बैतूल,देवास, इंदौर सहित कई जिलों के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासियों ने तथा गुजरात के प्रतिनिधियों ने भी इस किसान मजदूर जन संसद में भागीदारी की। इसी के साथ सेन्चुरी सहित पीथमपुर के कई मजदूर संगठनों के सदस्य भी जन संसद में शामिल हुए।

जन संसद को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को तीनों कृषि कानून और बिजली संशोधन बिल वापस लेने ही होंगे, यदि ये तीनों कानून वापस नहीं हुए तो आंदोलन जारी रहेगा। यह आंदोलन किसानों के मान-सम्मान और स्वाभिमान का आंदोलन है और यह सरकार जो किसानों के और मजदूरों के सम्मान से खिलवाड़ कर रही है वह अब चलनेवाला नहीं है। एमएसपी भी देना होगा, तीनों कृषि कानून भी वापस लेने होंगे, अन्यथा इस सरकार को जाना होगा

योगेंद्र यादव ने जन संसद को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार किसानों-मजदूरों की विरोधी है और कारपोरेट के पक्ष में काम कर रही है। सरकार का पहला काम अडानी और अंबानी जैसे पूंजीपतियों की दौलत बढ़ाने का है और वह इसी हिसाब से कानून बनाते हुए किसानों और मजदूरों के खिलाफ काम कर रही है।

जन संसद में बोलते हुए किसान संघर्ष समिति के नेता डॉ सुनीलम ने कहा कि आज देश भर के संयुक्त किसान मोर्चे के नेता नर्मदा घाटी की 36 साल से चल रही लड़ाई पर सभी संघर्षशील नेताओं को बधाई देने,सलाम करने के लिए आए हैं। यह आंदोलन देश के तमाम जन आंदोलनों का प्रेरणा देनेवाला रहा है इसलिए बड़वानी की धरती से हम केंद्र की सरकार को चेतावनी देना चाहते हैं कि वह तत्काल किसान और मजदूरों के विरोध में काम करना बंद करे तथा किसान विरोधी कानून,बिजली संशोधन बिल और श्रमकानूनों में किए गए बदलाव को तत्काल वापस ले।

पिछले 36 साल से नर्मदा घाटी के आंदोलन का नेतृत्व कर रही मेधा पाटकर ने जन संसद को संबोधित करते हुए जहां विस्तार से नर्मदा आंदोलन की जानकारी दी वहीं कहा कि घाटी के किसान मजदूरों ने अपने अहिंसक संघर्ष से पुनर्वास के कई अधिकार हासिल किए हैं, लेकिन अभी भी यह लड़ाई जारी है क्योंकि कई लोगों के हकों को सरकार ने अभी तक दिया नहीं है। इसलिए यह लड़ाई जारी रहेगी। नर्मदा बचाओ आंदोलन और देश में चल रहे किसान आंदोलन की एकजुटता के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि देश के किसानों की जो लड़ाई चल रही है उसे अंतिम मुकाम तक पहुंचाने के लिए नर्मदा घाटी के सभी साथी प्रतिबद्ध हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता तथा कई बार लोकसभा में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले हन्नान मौला ने विस्तार से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किसानों और मजदूरों के खिलाफ किए जा रहे निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि यह सरकार किसानों और मजदूरों के हकों पर कुठाराघात कर रही है और इसी के खिलाफ देश भर के किसान जहां संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले साढ़े आठ महीनों से सड़कों पर हैं वहीं तमाम राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देशभर के लाखों लाख मजदूर भी सरकार के खिलाफ संघर्षरत हैं। जन संसद को शहीदे आजम भगतसिंह की भांजी गुरजीत कौर सहित से ज्यादा वक्ताओं ने संबोधित किया।

– रामस्वरूप मंत्री

 

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