नर्मदा के विस्थापितों के पक्ष में आए राकेश टिकैत, हन्नान मौला, योगेन्द्र यादव

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24 अगस्त। किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि मंगलवार को 3 बजे नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) की बैठक थी। बैठक में मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों को शामिल होना था।

मंगलवार की सुबह संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने उपर्युक्त सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे 110 मीटर से नीचे जलाशय का जलस्तर उतारने की मंजूरी नहीं देने की मांग की। किसान नेताओं ने पत्र के माध्यम से आशा व्यक्त की कि बैठक में विस्थापितों, नर्मदा घाटी के किसानों के ही पक्ष में निर्णय किया जाएगा | घाटीवासियों को संघर्ष करने को मजबूर न करते हुए उनकी संगठित शक्ति के साथ संवाद किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि 17 अगस्त को संयुक्त किसान मोर्चा से पूर्व सांसद एवं अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री हन्नान मौला, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत, जय किसान आंदोलन के संयोजक योगेंद्र यादव एवं किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम नर्मदा किसान मजदूर जन संसद में शामिल होने बड़वानी गए थे जहां उन्होंने हजारों किसानों, मजदूरों , पशुपालकों की बात सुनी तथा नर्मदा नदी और डूबे हुए गाँव, सरदार सरोवर जलाशय की स्थिति एवं जल संकट देखा जिसके आधार पर यह पत्र लिखा गया है।

तीनों नेताओं ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को पत्र लिखकर नर्मदा के विस्थापितों के हितों की रक्षा करने की मांग की है।

पत्र में कहा गया है कि बड़वानी में हुई जन संसद के दौरान खबर मिली कि 24 अगस्त को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण की बैठक में सरदार सरोवर बांध परियोजना के संबंध में कुछ प्रस्ताव रखे जा रहे हैं। इसमें गुजरात शासन मुख्य नहर कासार और न्यूनतम जलस्तर, जो ट्रिब्यूनल के अनुसार 110 मी. ही रखा गया है, उसमें एक प्रकार का बदलाव चाहता है। 88 मीटर पर गुजरात के बनाये इरिगेशन बायपास टनेल्स के द्वारा (जिसकी क्षमता कुल 25000 क्युसेक की है) गुजरात शासन पानी निकालने की मंजूरी चाहता है। इसका कारण बाँध रिसन अधिक होने, असुरक्षित बनने से सरदार सरोवर बांध के तल में भराव के कार्य को बताया जा रहा है, जबकि पानी के नीचे से भी कार्य करना और 110 मीटर के नीचे जलाशय का जल स्तर उतारने की मंजूरी नहीं देना संभव है। मध्यप्रदेश के गॉंव-आबादी, उपजाऊ भूमि, लाखों पेड़, नदी के हिस्से का भी बलिदान देने के बाद आज तक बिजली का पूरा लाभ, संपूर्ण पुनर्वास के लिए फंड और डूब में आए वनक्षेत्र की करोड़ों की भरपाई लेना बाकी है, तो बिजली का लाभ टनेल को मंजूरी देने से खत्म होगा और भरपाई की निश्चितता भी नहीं रहेगी।

आज की नर्मदा की स्थिति जो आगे भी आ सकती है, को और गंभीर नहीं होने देन और पश्चिम निमाड़ के किसान और खेती सिंचाई, आबादी को जल आपूर्ति पर संकट नहीं छाने दें।

(यह पत्र संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से योगेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को ईमेल से भेजा है।)

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