30 अगस्त। मूर्धन्य समाजवादी चिंतक सच्चिदानन्द सिन्हा ने 30 अगस्त को अपने सार्थक और सक्रिय जीवन के 93 वर्ष पूरे कर लिये। इस अवसर पर उनके अब तक के लेखन को राजकमल प्रकाशन ने आठ खंडों में ‘सच्चिदानंद सिन्हा रचनावली’ के तौर पर प्रकाशित किया है। अंतिम समय में युद्धस्तर पर चले प्रकाशन कार्य के बाद राजकमल ने अपनी पटना इकाई के माध्यम से सच्चिदा जी को उनके आवास पर (ग्राम-पोस्ट- मणिका, थाना मुशहरी, जिला मुजफ्फरपुर, बिहार) रचनावली की प्रति पहुंचाकर भेंट की। इस अवसर पर कम से कम मुजफ्फरपुर में सेमिनार करने की योजना थी। लेकिन रचनावली तैयार होने की अनिश्चितता के बीच इसके संपादक अरविंद मोहन के सुझाव पर तय किया गया कि सेमिनार कुछ समय बाद किया जाएगा।
इस मौके पर स्थानीय साथियों के सहयोग से मणिका में एक संक्षिप्त कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें पौधारोपण भी शामिल था। इस मौके पर सच्चिदा जी के अलावा उनके दोनों भाई प्रो. प्रभाकर सिन्हा (पीयूसीएल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और तीसरे व सभी छह भाई बहनों में छोटे अरविंद सिन्हा) भी शामिल हुए, जो अलग-अलग स्थानों पर रहने के कारण कभी-कभी ही सार्वजनिक मौकों पर एकसाथ शरीक हो पाते हैं।
हालांकि, त्वरित सूचना पर आयोजित उनकी तीनों बहनों (पटना निवासी मनोरमा सिन्हा, बोकारो निवासी प्रो. सरोज सिंह और रांची निवासी वीण पांडेय) में से कोई भी उपस्थित नहीं हो सकीं। यह कार्यक्रम 29 अगस्त को ही अंतिम रूप से तय हो पाया जब रचनावली पटना से मुजफ्फरपुर आ गयी। इस सिलसिले में एक दुखद खबर यह है कि लगभग डेढ़ महीने पहले ही सच्चिदाजी के दूसरे बहनोई और प्रो. सरोज सिंह के पति सेवानिवृत्त इंजीनियर नृसिंह प्रसाद सिंह का दिल्ली में अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। सरोज जी भी बीमार होकर उस समय अपनी बेटी सुष्मिता जी की देखरेख में नोएडा में ही थीं और अस्पताल में भर्ती थीं। सच्चिदा जी के सबसे बड़े बहनोई (सच्चिदा जी और प्रभाकर जी से छोटे) इंजीनियर रमेश प्रसाद सिंह का निधन कई वर्षों पहले ही हो चुका है।
सच्चिदाजी के 93वें वर्ष पर मणिका में आयोजित कार्यक्रम की एक संक्षिप्त सूचना गांधी शांति प्रतिष्ठान, मुजफ्फरपुर के संयोजक अरविंद वरुण ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट की है। इसके साथ ही इस मौके की कई तस्वीरें उन्होंने पोस्ट कीं जो स्वराज इंडिया के बिहार के महासचिव मुकेश ठाकुर ने और समाजवादी जन परिषद के अच्युतानंद किशोर नवीन ने व्हाट्सऐप से भी भेजी हैं।
इसके साथ ही ‘समता मार्ग’ वेब पोर्टल पर सच्चिदाजी का आत्मकथ्य- मेरा जीवन और लेखन- उपलब्ध है। इसी पोर्टल पर सच्चिदानन्द सिन्हा रचनावली और सच्चिदा जी के योगदान तथा उनकी शख्सियत के बारे में बता रहे हैं रचनावली के संपादक, वरिष्ठ पत्रकार-लेखक अरविंद मोहन। यह लिंक भी यहां शेयर किया जा रहा है। इस मौके पर सच्चिदानन्द सिन्हा की किताब ‘समाजवाद की संभावना’ के हवाले से संजय गौतम बता रहे हैं सच्चिदाजी की चिंताएं क्या हैं और मौजूदा संकटों का वे क्या समाधान बताते हैं। यह भी इसी पोर्टल पर है।
सच्चिदाजी समाजवादी किसान आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। आज जब दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों और कॉरपोरेट समर्थक कृषि कानूनों के खिलाफ किसान धरने पर हैं, तो उनके जन्मदिन पर किसान आंदोलन का समर्थन करना लाजिमी हो जाता है। हरियाणा में कल ही किसानों पर हुए लाठीचार्ज में एक किसान शहीद हो गए जबकि कई बुरी तरह से घायल हुए हैं। इस आंदोलन के प्रति सच्चिदानन्द सिन्हा और हम सबके समर्थन के साथ।
– अतुल कुमार
समता मार्ग पोर्टल पर सच्चिदाजी का आत्मकथ्य- मेरा जीवन और लेखन।
समता मार्ग पोर्टल पर सच्चिदा जी के योगदान तथा उनकी शख्सियत के बारे में बता रहे हैं रचनावली के संपादक, वरिष्ठ पत्रकार-लेखक अरविंद मोहन।
https://samtamarg.in/2021/08/29/sachchida-ji-and-her-creations/
समता मार्ग पोर्टल पर संजय गौतम