11 सितंबर। भाजपा-जजपा सरकार द्वारा किसानों की मांगों को मानने के बाद करनाल लघु सचिवालय का 4 दिवसीय घेराव शनिवार को समाप्त हो गया। खट्टर सरकार 28 अगस्त 2021 को किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देनेवाले अधिकारी आयुष सिन्हा को निलंबित करने के लिए राजी हो गयी। हरियाणा के किसान संगठनों और प्रशासन के बीच उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा न्यायिक जांच के लिए समझौता भी हुआ, जो पुलिस हिंसा, जिसके परिणामस्वरूप एक किसान की मौत और अनेक किसान घायल हुए थे, में आयुष सिन्हा की भूमिका पर गौर करेंगे। एक महीने के अंदर जांच पूरी कर ली जाएगी।
हरियाणा सरकार शहीद सुशील काजल के परिवार को मुआवजा देने और परिवार के सदस्यों को दो नौकरियों के रूप में सहायता प्रदान करने पर भी राजी हुई। हिंसा में घायल हुए किसानों को भी मुआवजा दिया जाएगा। ये निर्णय स्थानीय किसान संगठनों के साथ-साथ राज्य के कानूनी विशेषज्ञों के परामर्श से और विश्वास में लेने के बाद लिए गए। इसी के साथ, करनाल लघु सचिवालय का घेराव उसी विजयी अंदाज में समाप्त हुआ, जैसा कि पिछले कुछ महीनों में हिसार, टोहाना और सिरसा में पिछले धरने हुए थे।
दुगुनी आय का सब्जबाग
मोदी सरकार कई वर्षों से ‘किसानों की आय दोगुनी करने’ के मायावी लक्ष्य का स्वप्न दिखा रही है। किसानों की आय छह साल में (यानी 2022 तक) दोगुनी करने के लिए 2016 में किए गए वादे की समय सीमा कुछ ही महीने दूर है। C2 लागत के आधार पर सभी कृषि उत्पादों पर लाभकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की किसानों की मांग को ठुकराते हुए, मोदी सरकार ने भूमि के मालिक कृषक परिवारों के लिए प्रति माह केवल 500 रुपये का प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण करने का विकल्प चुना। इसे भी 2019 के चुनावों के लिए चुनाव पूर्व स्टंट के रूप में किया गया था।
किसानों पर कर्ज 58 फीसदी बढ़ा
अब मोदी सरकार के जुमले पर रिपोर्ट कार्ड से आधिकारिक रूप से स्पष्ट हो गया है। एनएसओ के 77वें दौर के सर्वेक्षण से पता चलता है कि 50 फीसदी से अधिक कृषक परिवार कर्ज में हैं, पिछले पांच वर्षों में किसानों के कर्ज में 58 फीसदी की वृद्धि हुई है। खेती से होनेवाली आय में वास्तविक रूप से कमी आयी है, अधिकांश कृषि आय, मजदूरी या गैर-कृषि व्यवसाय के रूप में आ रही है। यह भारत में किसानों को खेतिहर मजदूर बनाने की एक समग्र प्रवृत्ति की पुष्टि करता है। अब समय आ गया है कि मोदी सरकार भारत में किसानों की आय में सुधार के लिए सही मूल्य के मार्ग, जो कि सबसे प्रत्यक्ष और समीपस्थ मार्ग है और सभी किसानों के लिए लाभकारी एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए कृषि आंदोलन की मांग को पूरा करता है, को अपनाए।
उप्र में भारत बंद को लेकर उत्साह
शुक्रवार को गठित एसकेएम की उत्तर प्रदेश इकाई ने पुष्टि की है कि 27 सितंबर का भारत बंद ऐतिहासिक होगा और इसमें पूरे यूपी के किसानों की जबर्दस्त भागीदारी होगी। मिशन यूपी के तहत किसान सभी भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे, जैसा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड में किया जा रहा है। किसान अंबानी-अडानी का भी विरोध करेंगे और पूरे यूपी में टोल प्लाजा मुक्त करेंगे। इस बीच, 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) को चंपारण, बिहार से एक किसान मार्च शुरू होगा और 350 किमी की यात्रा कर 20 अक्टूबर को वाराणसी पहुंचेगा।
ओलंपिक विजेताओं का सम्मान
आज ओलम्पिक पदक विजेताओं एवं राष्ट्रपति पुरस्कार विजेताओं का खरखौदा अनाज मंडी में सम्मानित किया गया। किसानों ने भारत के युवा नायकों को सम्मानित कर उन्हें देश का गौरव बतलाया।
बिहार में एकजुटता बढ़ी
पटना में शनिवार को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जहाँ पूरे बिहार के दर्जनों किसान संगठन एकसाथ आए। किसान नेताओं ने भारत बंद को सफल बनाने और कृषि आंदोलन को राज्य के कोने-कोने तक ले जाने का संकल्प लिया।
बारिश में मोर्चा
लगातार हो रही बारिश ने गाजीपुर मोर्चा को जलमग्न कर दिया है, जिससे किसानों के शिविरों और उनके राशन को नुकसान पहुंचा है। ऐसी मुश्किलों का सामना करते हुए गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने बाढ़ मोर्चा में धरने पर बैठ कर अनोखे अंदाज में प्रदर्शन किया। करनाल हो या दिल्ली मोर्चा, किसान तमाम मुश्किलों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं।