निर्मला सीतारमण गलतबयानी न करें – संयुक्त किसान मोर्चा

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Kisan ekta morcha

13 अक्टूबर। संयुक्त किसान मोर्चा ने अंतिम अरदास के दूसरे दिन एक बार फिर अपनी यह मांग दोहराई कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाए। मोर्चा ने कहा कि टेनी का मंत्री बने रहना लखीमपुर जनसंहार के मामले में न्याय की संभावना को धूमिल करता है। इस बात के वीडियो साक्ष्य दुनिया के सामने आ चुके हैं कि टेनी ने अपने पूर्व रिकार्ड का हवाला देते हुए किसानों को सबक सिखाने की धमकी दी थी। फिर कुछ दिन बाद जो हुआ उस धमकी के अनुरूप ही‌ हुआ। ऐसे व्यक्ति को मंत्रिपरिषद में बनाए रखना यही जताता है कि मोदी सरकार अजय मिश्रा को बचाने की कोशिश कर रही है।

वित्तमंत्री ने जो कहा

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बयान से एक बार फिर यही जाहिर हुआ कि सरकार अब भी किसानों की मांग के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसानों ने तीन कृषि कानूनों को लेकर स्पष्ट रूप से नहीं बताया है कि उनके ठोस एतराज क्या हैं। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि यह वही पिटा-पिटायी बात है जो कृषिमंत्री से लेकर अन्य तमाम केंद्रीय मंत्री दुहराते आ रहे हैं। जबकि किसान मोर्चा की ओर से तीनों कृषि कानूनों से किसानों के लिए होने वाले दुष्परिणामों के बारे में बिंदुवार बार-बार स्पष्ट रूप से बताया जा चुका है। वित्तमंत्री को गलतबयानी करने के बजाय सही तथ्य जानने चाहिए।

कृषि कानून आने के बाद कृषि उपज मंडियां या तो बंद हो रही हैं या उनकी आय कम हो रही है, यह तथ्य खुद बताता है कि किसानों के अंदेशे सही हैं। किसानों को बहुत सी जगहों पर घोषित एमएसपी से भी कम कीमत मिल रही है। किसानों का पक्ष उनके अनुभवों से प्रमाणित है।

अरदास के बाद

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर लखीमपुर के शहीद किसानों के अंतिम अरदास के दिन यानी 12 अक्टूबर को देशभर में हजारों जगह प्रार्थना सभाएं हुईं और मोमबत्ती जुलूस निकाले गए। अंतिम अरदास संपन्न होते ही उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के लिए और बाकी राज्यों के लिए शहीद कलश यात्रा आरंभ हो गयी। दशहरे के दिन 15 अक्टूबर को इस बार संयुक्त किसान मोर्चा के तमाम घटक दशहरे के बाकी सब आयोजन-अनुष्ठान करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और अपने अपने राज्य के किसी भाजपा नेता का पुतला दहन भी करेंगे।

केरल में धरना

लखीमपुर खीरी जनसंहार के मद्देनजर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करने की मांग को लेकर केरल में किसान संगठनों ने बुधवार को केंद्र सरकार के दफ्तरों के बाहर दिनभर धरना दिया। दूसरी ओर बुधवार को सीटू से जुड़े पांच सौ कर्मचारी किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए सिंघू बार्डर पहुंचे। इससे जाहिर होता है कि किसान आंदोलन अब दो-तीन राज्यों तक सीमित नहीं है।

अन्य मांगों पर विरोध प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे किसान आंदोलन ने अन्य समस्याओं और मांगों को लेकर भी किसानों को आंदोलित किया है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के किसान जहां अत्यधिक बारिश से फसलों को हुए नुकसान के मुआवजे की मांग कर रहे हैं, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक के गन्ना उत्पादक गन्ने की वाजिब कीमत और बंद चीनी मिलों को खोलने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
पंजाब और हरियाणा के किसानों ने धान की खरीद अविलंब शुरू करने की मांग की है, वहीं राजस्थान के किसान खरीद के अलावा प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठीचार्ज के दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं। हरियाणा में बाजरे की खरीद शुरू करने की मांग भी जुड़ गयी है।

आदिवासी हितों पर हमले का विरोध

संयुक्त किसान मोर्चा ने जहां चार लेबर कोड के खिलाफ श्रमिक संगठनों का और स्कीम वर्कर्स की मांगों का समर्थन किया है वहीं अब वन संरक्षण अधिनियम 1980 में प्रस्तावित संशोधन का भी विरोध किया है। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि प्रस्तावित संशोधन वनाधिकार अधिनियम 2006 को कमजोर करेगा। इस संशोधन के तहत जंगल को इस तरह परिभाषित किया जाएगा कि प्राकृतिक संसाधनों को कारपोरेट को सौंपना आसान बनाया जा सके। इसके लिए राज्य और स्थानीय निकायों के संवैधानिक अधिकार छीन कर सारी सत्ता केंद्र के हाथों में देने का खेल चल रहा है, जो कि घोर लोकतंत्र विरोधी है।

लोकनीति सत्याग्रह पदयात्रा

2 अक्टूबर को चंपारण से वाराणसी के लिए शुरू हुई पदयात्रा बुधवार को बारहवें दिन सुबह फेफना से चलकर अपराह्न देवस्थली पहुंची, और वहां से चलकर पदयात्रियों ने रात में रसड़ा में विश्राम किया। पदयात्रा 20 अक्टूबर को वाराणसी पहुंचेगी जहां उसका अंतिम पड़ाव होगा। पदयात्रा में शामिल लोग रोज प्रधानमंत्री से एक सवाल पूछते हैं। बुधवार का उनका सवाल था- मजदूरों के पलायन के लिए कौन जिम्मेवार है, और अमीरी-गरीबी के बीच खाई क्यों बढ़ती जा रही है?


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