19 अक्टूबर। ‘साबरमती पर्यटन नहीं, आस्था की भूमि है’,‘विरासत बचेगी, देश बनेगा’, ‘साबरमती की सादगी रहने दो, 12 सौ करोड़ वापस लो’ के नारों के उद्षोघ के साथ आज साबरमती–सेवाग्राम संदेश यात्रा तीसरे दिन जलगांव पहुंची। यात्रा की शुरुआत सर्वधर्म प्रार्थना से हुईं। यात्रीगण प्रभातफेरी के रूप में जलगांव रेलवे स्टेशन पर स्थापित बाबासाहेब आंबेडकर की मूर्ति के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पण के पश्चात गांधी उद्यान, जलगांव प्रांगण में पहुंचे। जलगांव के गांधी रिसर्च फाउंडेशन के उदय महाजन ने साबरमती-सेवाग्राम संदेश यात्रा का अभिनंदन किया। बाद में सभा को कुमार प्रशांत, संजय सिंह , राजेंद्र सिंह, आशा बोथरा और अशोक भारत आदि ने संबोधित किया।
गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत ने कहा कि आजादी की लड़ाई में गांधी जी ने लोगों को निर्भय बना दिया। आज उस विरासत को जीवंत करने की आवश्यकता है। आज लोग बोलने से डरते हैं। यह यात्रा चाहती है जो सही लगे उसे बोले। सरकार से भी कहना चाहते है कि रास्ता बदलिए।
गांधी स्मारक निधि, दिल्ली के सचिव संजय सिंह ने कहा कि सरकार साबरमती आश्रम का आधुनिकीकृरण करना चाहती है। यह सब गुपचुप तरीके से हो रहा है। इससे साबरमती आश्रम की जो विशेषता है, वह समाप्त हो जाएगी। गांधी ने जिन मूल्यों पर आदर्श समाज रचना की कल्पना की थी, उसे सरकार को समझना चाहिए।
पर्यावरणविद एवं तरुण भारत संघ के संरक्षक राजेंद्र सिंह ने कहा कि गांधी के आंखों में गरीबों के लिए पानी था। सरकार उस पानी को सूखाना चाहती है। गांधी की जो सरलता और सादगी थी, वह दुनिया भर में लोगों के प्रेरणा स्रोत है। सरकार उसे आधुनिकरण कर रही है ताकि नई पीढ़ी यह समझ सके कि गांधी इस तरह से रहते थे।
सर्व सेवा संघ के अशोक भारत ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की धरोहर साबरमती आश्रम जो असंख्य लोगों के प्रेरणा स्थल है, को केंद्र सरकार बदलना चाहती है। इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति क्या होगी कि आज साबरमती आश्रम को बचाने के लिए हमें यात्रा पर निकलना पड़ रहा है। गांधी ने सादगी, त्याग और सेवा के मूल्यों पर देश निर्माण की जो शुरुआत की थी, उसे विफल करने की प्रयास तेज हो गए हैं, इसलिए यह यात्रा है। इस यात्रा के माध्यम से हम लोगों में अपील करते हैं कि विरासत को बचाने के लिए और देश को एक बार फिर खड़ा करने के लिए मिलजुल कर आगे बढ़े।
इस कार्यक्रम में गांधी रिसर्च फाउंडेशन के उदय महाजन, अश्विनी झाला, गीता धर्मपाल आदि ने अपने विचार रखे। हरिजन सेवक संघ के श्री शंभू पाटिल ने प्रारंभ में प्रस्तावना रखी। इसके पश्चात यात्रा पालदी पहुंची जहां एक बैठक का आयोजन किया गया। सर्वोदय कार्यकर्ता बी डी पाटिल तथा नागरिकों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया।
अमलनेर का यह केंद्र साने गुरुजी का कर्म स्थल है। कर्मभूमि स्मारक प्रतिष्ठान अमलनेर, महाराष्ट्र में भी एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाहा, राष्ट्रीय युवा संगठन के भूपेश भूषण, कुमार प्रशांत एवं राजेंद्र सिंह ने अपने विचार रखे।
साबरमती को पिकनिक स्पाट न बनाएं
सभा की शुरुआत करते हुए पर्यावरणविद एवं मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित राजेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार के लिए 1200 करोड़ रुपये तो कुछ नही है, लेकिन सरकार बापू के इस स्थान को पर्यटन स्थल बनाना चाहते है, यह स्थान आस्था का केंद्र है । उसे जैसा है वैसे ही बनाकर रखना चाहते है। हम गांधी के सत्य को अहिंसा के रास्ते आगे बढ़ रहे है और कह रहे है कि साबरमती को ऐसे ही रहने दें उसे पिकनिक स्पार्ट न बनाएं।
राष्ट्रीय युवा संगठन के साथी भूपेश भूषण ने कहा कि हम सेवाग्राम से साबरमती यात्रा लेकर जा रहे है यह बडा मुद्दा हो गया है। देश भर में कई तरह के कामों के लिए गांधी के साबरमती आश्रम को जाना जाता है, परंतु साबरमती आश्रम को सरकार द्वारा ढकने की साजिश की जा रही है।
कुमार प्रशांत ने कहा कि यह सरकार गलत रास्ते में जा रही है, हम कहने आये है कि रास्ता बदलना चाहिए। गांधी जी का आश्रम कैसा हो यह साने गुरुजी के कर्म भूमि में बैठ कर लोगों को बताने की जरूरत नही होगी। सरकार जो कर रही है उसका रास्ता बदल यह निवेदन करने निकले है।
अरविंद कुशवाहा ने कहा कि हम गाँधीजनों को लगा वह हमने करना शुरु किया है। हम देश की जनता को यह बताने निकले है कि सरकारें किस तरह से चीज़ें को खराब कर रही है। समापन में डॉ. अरविंद ने कहा कि हम इस सावरमती के सादगी के साथ खड़े है। साबरमती आश्रम में सरकार द्वारा जो परिवर्तन का प्रयास किया जा रहा है उसके विरुद्ध अमलनेर की जनता ने संकल्प पारित किया तथा यहां से एक युवाओं की टोली 24 अक्टूबर को साबरमती आश्रम, अहमदाबाद पहुंचकर अपने संकल्प को दोहराएंगी। कार्यक्रम की संयोजन दर्शना पवार, जितेंद्र सुनार, अरविंद सराफ, रमेश दाने अमलनेर ने किया।
सेवाग्राम संदेश यात्रा में 10 राज्यों के 50 गांधीजन शामिल हुए है जिसमें गांधी शांति प्रतिष्ठान के कुमार प्रशांत, पर्यावरणविद राजेन्द्र सिंह, आशा बोथरा, गांधी स्मारक निधि के संजय सिंह, राष्ट्रीय युवा संगठन के बिश्वजीत, सर्व सेवा संघ के अशोक भारत, अरविंद कुशवाहा, नई तालीम समिति, वर्धा के सुगन बंरठ, अजमत खान, मनोज ठाकरे, भूपेश भूषण, मानस पटनायक, शिवकांत त्रिपाठी, शोभा बहन, सुरेश सर्वोदयी, सागर दास, दीपाली, मधु, शाहरुबि, यशवंत भाई, जगदीश कुमार, के एल साडिल्य, विनोद पगार आदि उल्लेखनीय हैं।