26 अक्टूबर। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर बहुत से जिलों में किसानों ने मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर दो बजे तक धरना, प्रदर्शन किया और आला जिलाधिकारियों को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे। गौरतलब है कि दिल्ली की सरहदों पर चल रहे किसानों के धरनों को 26 अक्टूबर को 11 महीने पूरे हो गये। पहले संयुक्त किसान मोर्चा का इरादा 26 अक्टूबर को लखनऊ में किसान महापंचायत करने का था लेकिन भारी बारिश तथा कुछ अन्य दिक्कतों के कारण उसे 22 नवंबर तक के लिए टाल दिया गया। फिर संयुक्त किसान मोर्चा ने निर्णय लिया कि जिस मांग को लेकर महापंचायत का आयोजन होना था उसी मांग को लेकर तमाम राज्यों में जिला और तहसील स्तर पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाए।
लिहाजा मंगलवार को बहुत सारे जिलों में धरना प्रदर्शन हुए और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन जिले के आला अधिकारियों को दिए गए। ज्ञापन में कहा गया है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर-खीरी में हुए जनसंहार के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिपरिषद में बनाए रखने से तथा जिस तरह इस मामले की जांच चल रही है उसे लेकर पूरे देश में निराशा और आक्रोश है। जांच में बरती जा रही कोताही और हीलाहवाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी नाराजगी जता चुका है।
संयुक्त किसान मोर्चा लगातार यह सवाल उठा रहा है कि अजय मिश्रा टेनी के रहते विश्वसनीय जांच असंभव है, क्योंकि उनका बेटा ही मुख्य आरोपी है और तमाम आइपीएस अफसर उनके अधीन आते हैं। यह हैरानी की बात है कि फिर भी प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद में अजय मिश्र टेनी को बनाये हुए हैं! जबकि अजय मिश्र टेनी के तीन वीडियो सामने आ चुके हैं जिसमें जनसंहार से कुछ ही दिन पहले उन्होंने सार्वजनिक रूप से किसानों को ‘ठीक कर देने’ की धमकी दी थी, अपनी ‘दस नंबरी’ पृष्ठभूमि के बारे में इशारा करते हुए। लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को जो हुआ वो उनकी धमकी के अनुरूप ही हुआ।
लिहाजा किसानों की मांग है कि अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किया जाए, उन्हें गिरफ्तार किया जाए और उनके खिलाफ हत्या तथा आपराधिक षड्यंत्र का मुकदमा चले।