9 दिसम्बर। भारत सरकार ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव के माध्यम से, संयुक्त किसान मोर्चा को गुरुवार को एक औपचारिक पत्र भेजा, जिसमें विरोध कर रहे किसानों की कई लंबित मांगों पर सहमति व्यक्त की गयी। इसके जवाब में संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली सीमाओं पर राष्ट्रीय राजमार्गों और अन्य स्थानों पर चल रहे विभिन्न मोर्चों को हटाने की औपचारिक घोषणा कर दी है। लेकिन इसके साथ ही, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि वर्तमान आंदोलन को फिलहाल स्थगित किया गया है – लड़ाई जीत ली गयी है और किसानों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से सभी किसानों के लिए एमएसपी के कानूनी अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस जीत को लखीमपुर खीरी सहित आंदोलन के लगभग 715 शहीदों को समर्पित करते हुए कहा है कि एसकेएम सभी आंदोलनकारी किसानों और नागरिकों और अपने समर्थकों को अभूतपूर्व संघर्ष और आंदोलन की शानदार जीत के लिए तहेदिल से बधाई देता है।
एसकेएम ने इस ऐतिहासिक अवसर पर कहा कि किसानों की एकता, शांति और धैर्य जीत की कुंजी रही है और इसे किसी भी परिस्थिति में खत्म नहीं होने दिया जाएगा, यह किसानों ने शपथ ली है। एसकेएम ने सतर्क रहने और वादा सुनिश्चित कराने का सामूहिक निर्णय लिया है।
यह देखते हुए कि देश सीडीएस बिपिन रावत और उनके सहकर्मियों के निधन पर शोक मना रहा है, एसकेएम ने किसानों की जीत के संबंध में सभी समारोहों को स्थगित करने का फैसला किया है। जश्न की रैलियां अब 11 दिसंबर को निकाली जाएंगी, उस दिन किसान विजय रैलियां निकाल कर मोर्चा स्थलों को एकसाथ छोड़ देंगे।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत सरकार विरोध कर रहे किसानों से की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रही है और भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार करने के लिए, एसकेएम की अगली बैठक 15 जनवरी को दिल्ली में आयोजित की जाएगी।
एसकेएम ने लंबे आंदोलन के दौरान धैर्य और समर्थन के लिए मोर्चा स्थलों के स्थानीय निवासियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा है कि उन्हें हुई असुविधाओं के लिए हम माफी चाहते हैं।
एसकेएम ने इस आंदोलन में किसानों के साथ संघर्ष करनेवाले श्रमिक संगठनों, महिला संगठनों और युवा/छात्र संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों जिन्होंने कानूनी सहायता और एकजुटता बढ़ाई, डॉक्टरों जिन्होंने चिकित्सा शिविर स्थापित किए और अपनी अथक सेवाएं दीं, विभिन्न धार्मिक निकायों जिन्होंने लंगर स्थापित किया और प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त और निर्बाध रूप से खिलाया, मानवाधिकार संगठनों सहित विभिन्न प्रगतिशील संगठन जो समर्थन में खड़े थे, कई कलाकार जो लगातार आंदोलन के साथ थे, कई संगठन जिन्होंने एसकेएम के आह्वान का लगातार और निरन्तर जवाब दिया, राजमार्ग ढाबा मालिकों और किसान आंदोलन को अपनी संगठनात्मक बैठकें चलाने के लिए जगह देनेवाले लोगों, एनआरआई और अंतररारष्ट्रीय किसान संगठनों और अन्य लोगों जिन्होंने अपने अपने स्थानों पर एकजुटता की कार्रवाई की, सैकड़ों स्वयंसेवकों जिन्होंने अपनी सेवा देकर भाग लिया, और अन्य शुभचिंतकों के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया है।