ओमिक्रॉन पर पूरी तरह काबू पाने के लिए क्या करना होगा

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— शोभा शुक्ला और बॉबी रमाकांत —

प जानते हैं कि जब से कोविड महामारी शुरू हुई है तब से एक सप्ताह में सबसे अधिक नये संक्रमण, 2022 नव वर्ष के पहले हफ्ते में रिपोर्ट हुएयह बहुत चिंता की बात है क्योंकि महामारी को दो साल से ऊपर हो गये हैंऔर सरकार व हम सब को भलीभाँति ज्ञात है कि कोरोना से संक्रमित होने से कैसे बचा जाए। कोरोना वायरस का पक्का इलाज अभी न हो पर संक्रमण के बचाव के तरीके तो प्रमाणित हैं।

महामारी के बीते दो सालों मेंविश्व में 31 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए और 55 लाख से अधिक मृत। कोविड संक्रमण और मौतों की असली संख्या तो इन आँकड़ों से कहीं ज़्यादा होगी। सोचने की बात यह है कि इनमें से अधिकांश संक्रमण से बचाव मुमकिन थाअतः असामयिक मृत्यु भी टल सकती थी।

कोरोना वायरस सिर्फ जीवित कोशिका में ही अपनी संख्या वृद्धि करता है। यदि सरकारों ने यह मुमकिन किया होता कि हर इंसान उचित मास्क सही तरीके से पहन सकेभौतिक दूरी रख सकेसाफ-सफाई रख सकेयदि लक्षण हों तो बिना विलम्ब सबको सही जाँच-इलाज मिलेतो कोरोना वायरस के फैलाव में निश्चित तौर पर गिरावट आती। जिन सह-रोग और सह-संक्रमण से कोरोना का खतरा अत्यधिक बढ़ता हैयदि सरकारों ने रोग-बचाव पर जोर दिया होता तो लोग रोग और कोरोना दोनों से बचते। जो लोग इन सह-संक्रमण और सह-रोग से ग्रसित हैं उन तक सभी स्वास्थ्य सेवा पहुँचती जिससे कि उनका रोग नियंत्रित रहे और उन्हें कोरोना का अनावश्यक खतरा न बढ़ेतो जन स्वास्थ्य के लिए कितना लाभकारी रहता। परंतु हुआ इसका ठीक उलटाअनेक रोगों की जाँच व इलाज कोरोना काल में दरकिनार हुआजिसके कारण लोग कोरोना के भीषण परिणाम झेलने को मजबूर हुए।

इन रोगों का खतरा बढ़ानेवाले कारण (जैसे कि शराबतम्बाकू) पर रोक तो दूर की बात हैसरकारों द्वारा उठाये गये कदम से उनका खतरा और बढ़ गया। उदाहरण के तौर परतालाबंदी में शराब-तम्बाकू की दुकान सबसे पहले खुलने वाली दुकानों में रहीं। पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि तम्बाकू और शराब सेवन से जानलेवा रोगों का खतरा बढ़ता है और यह वही सह-रोग और सह-संक्रमण हैं जिनसे कोरोना का खतरा भी बढ़ता है। मधुमेहहृदय रोगउच्च रक्तचापकैन्सरटीबी आदि।

शून्य संक्रमण दर

किसी भी संक्रमण नियंत्रण नीति में सर्वप्रथम यह लक्ष्य होना ही चाहिए कि संक्रमण दर शून्य कैसे हो। जो लोग संक्रमित हैं उन तक सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा कैसे पहुँचेऔर जो लोग अभी संक्रमित नहीं हैं वे सामाजिक सुरक्षा कवच के चलते संक्रमित न हों।

परंतु यदि हम महामारी के दो साल में हर सप्ताह जारीविश्व स्वास्थ्य संगठन के साप्ताहिक वैज्ञानिक अपडेट पढ़ेंतो पाएँगे कि संक्रमण दर शून्य तो दूरशून्य के आसपास भी कभी नहीं हुआ। कुछ भौगोलिक क्षेत्र में कभी कम तो कभी चोटी छू रहा था तो कभी पठार जैसा रहा। कुछ देश जैसे कि न्यू जीलैंड और थाईलैंड आदि में 2020 में कुछ हफ्ते-महीने शून्य संक्रमण दर भी रहा पर यह अपवाद ही माना जाए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की डॉ मारिया वैन केरखोवे ने कहा कि एक ओर जनता को अपने और अपने परिवारजनों के स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदारीपूर्ण निर्णय लेने हैं तो दूसरी ओर सरकार की भी जिम्मेदारी है कि लोगों को भरपूर हर सम्भव सहयोग और मदद मिले कि वे यह निर्णय ले पाएँ। लोग मास्क पहन सकेंभौतिक दूरी रख सकेंसाफ-सफाई रख सकेंहर इंसान तक जाँच-इलाज सेवा पहुँच रही होआदि।

 

डॉ मारिया वैन केरखोवे ने जरूरी बात कही कि मास्क यदि ठीक से साफ हाथों से नहीं पहना जाएगानाक और मुँह दोनों कसके नहीं ढकेगाया ठुड्डी पर लटकेगा या कान से एक ओर झूलेगाआदितो भले ही हमें यह गलतफहमी रहे कि हम मास्क के कारण सुरक्षित हैं पर असलियत यही है कि ऐसे नाममात्र मास्क पहनने से हम संक्रमण से नहीं बच सकेंगे। मास्क हमें सही तरह से पहनना जरूरी है।

वरिष्ठ संक्रामकरोग विशेषज्ञ डॉ ईश्वर गिलाडा ने कोविड महामारी के आरम्भ से हीदेशव्यापी एसएमएस अभियान संचालित किया जिससे बस अब जीता है’ हैशटैग ने भी काफी बढ़ाया। दिल्ली की मेट्रो में यही संदेश देखने को मिलता है और अनेक जगह एसएमएस संदेश पढ़ने को मिल जाएँगे। एसएमएस यानी कि सोशल डिस्टन्सिंग (भौतिक दूरी)मास्क और सैनिटेशन (साफ-सफ़ई)। कोविड वैक्सीन लांच होने के पश्चात डॉ गिलाडा की टीम ने इसको एसएमएसवी अभियान में परिवर्तित किया और वैक्सीन का संदेश भी जनजागरूकता के लिए जोड़ा। डॉ गिलाडा ने सिटिज़न न्यूज सर्विस (सीएनएस) से कहा कि ऐसे अभियान व्यापक स्तर पर अत्यंत प्रभावकारी ढंग से चलाने होंगे जिससे कि जनजागरूकता के साथ-साथ लोगों तक सामाजिक सुरक्षा और सेवा भी पहुँचे जिससे कि वे स्वास्थ्य-वर्धक निर्णय अपने हित में ले सकें।

रात्रि कर्फ्यू से कोई लाभ नहीं

डॉ केरखोवे ने कहा कि सरकारों को समझदारी से वैज्ञानिक और प्रमाणित तरीकों से ही अपने परिप्रेक्ष्य में सबके लिए उचित कोविड नियंत्रण कार्यक्रम संचालित करने चाहिए। महामारी की चुनौती से निबटने के लिए कार्यसाधकता बहुत जरूरी है। पर भारत में अनेक प्रदेश सरकारों ने रात्रि कर्फ्यू लगाया है जिसका जन स्वास्थ्य की दृष्टि से कोई लाभ नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कोविड नियंत्रण के संदर्भ में रात्रि कर्फ्यू लगाने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। दिन भर सड़कों पर भीड़भाड़ के साथ-साथ यह भी सर्वविदित है कि दूरी बना के रखना तो दूर, मास्क तक सब नहीं पहने हैं। अनेक प्रदेशों में भीड़ वाली बड़ी चुनावी रैलियाँ हुई हैं।

डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि सरकारों को वैज्ञानिक और प्रमाणित ढंग से कोविड नियंत्रण नीतियाँ और कार्यक्रम संचालित करने चाहिए। एक ओर हमें कोविड संक्रमण के फैलाव पर रोक लगानी है तो दूसरी ओर कोविड से संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती न होना पड़ेऔर असामयिक मौत न हों यह सुनिश्चित करना है। इसी के साथ यह भी देखना जरूरी है कि अर्थव्यवस्था चलती रहेलोगों के रोजगार प्रभावित न होंक्योंकि लोगों ने बहुत झेल लिया है।

ओमिक्रोन वायरस को हलके में न लें

पूर्व के कोरोना वायरस के प्रकार की तुलना मेंओमिक्रोन कोरोना वायरस में 45 म्यूटेशन हैं जिसके कारण वह अधिक सरलता से इंसानों की कोशिकाओं को संक्रमित करता है और पनपता है। इन्हीं म्यूटेशन के कारण वह प्रतिरोधक क्षमता से बच जाता है और जो लोग पूरी खुराक टीकाकरण करवा चुके हैं या पूर्व में संक्रमित हो चुके हैंउनकी एंटीबॉडी से बचकर यह वायरस इन्हें भी संक्रमित कर रहा है। ओमिक्रोन कोरोना वायरस इंसान की ऊपरी श्वास नली में संक्रमित होकर पनपता है जबकि अन्य कोरोना वायरस जैसे कि डेल्टा, निचली श्वास नली और फेफड़े में पनपते रहे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अधनोम घेबरेएसस ने कहा कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन कोरोना वायरस कम गम्भीर लगता है परंतु उसको माइल्ड’ या मामूली या हल्का समझना सही नहीं होगा। ओमिक्रॉन कोरोना वायरस के कारण भी लोग अस्पताल में गम्भीर रूप से बीमार हो रहे हैं और मृत हो रहे हैं। चूँकि ओमिक्रॉन कोरोना वायरस आसानी से फैलता है इसीलिए कम समय में अधिक संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं और स्वास्थ्य व्यवस्था पर अत्यधिक भार पड़ रहा है।

डॉ मारिया वैन केरखोवे ने कहा कि एक ओर तो अस्पताल में रोगियों की संख्या बढ़ोतरी पर है मगर दूसरी ओर स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या घट रही है क्योंकि स्वास्थ्यकर्मी भी संक्रमित हो रहे हैं। इसके कारण न केवल कोविड की देखभाल प्रभावित हो रही है बल्कि अन्य रोगों के उपचार में भी समस्या आ रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपातकाल चिकित्सा विभाग के निदेशक डॉ माइकल राइयन ने कहा कि दक्षिण अफ़्रीका और अमरीका में हुए शोध के अनुसारडेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्तिपरिवार में अन्य सदस्यों को 10 फीसद से 60 फीसद अधिक संक्रमित कर रहा है। परंतु जो लोग पूरा टीकाकरण करवा चुके हैं उन्हें खतरा कम है। डॉ राइयन ने कहा कि घर के भीतर यह हमारी जिम्मेदारी है कि यदि हमें तबियत ठीक न लगे तो स्वयं को अन्य लोगों से दूर करेंमास्क पहनें और अन्य संक्रमण नियंत्रण अपनाएँजरूरत के अनुसार जाँच-इलाज करवाएँ।

टीकाकरण करवाने से कोविड होने पर गम्भीर परिणाम कम होंगे इसीलिए जो लोग टीकाकरण के पात्र हैं वे अपना पूरा टीकाकरण करवाएँ और समय पर बूस्टर लगवाएँ। लेकिन टीकाकरण करवाने पर भी मास्क पहननादूरी बना के रखनासाफ-सफाई रखनाऔर अन्य संक्रमण नियंत्रण के सभी मुमकिन निर्देशों का पालन करना जरूरी है जिससे कि अंतत: शून्य संक्रमण दर का सपना साकार हो सके।

(सीएनएस)

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