25 जनवरी। रेलवे भर्ती को लेकर मंगलवार को बिहार के कई शहरों में असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। लेकिन उनकी बात सुनने की कौन कहे, उन्हें डराने के लिए रेल मंत्री ने एक चेतावनी भरा जारी कर दिया। रेल मंत्री की ओर से जारी ‘सूचना’ में यह धमकी दी गयी है कि प्रदर्शनकारियों को नौकरी के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के वादे पर आयी सरकार ने सिर्फ अपने वादे से उलट राह पर चल रही है बल्कि वह खाली पदों को भरने के लिए उठनेवाली हर आवाज को कुचल देना चाहती है।
रेलवे अभ्यर्थियों के प्रति समर्थन का इजहार करते हुए युवा हल्लाबोल के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने रेल मंत्री को पत्र लिखा है जो इस मसले को समझने के लिए उपयोगी है। वह पत्र इस प्रकार है-
श्री अश्विनी वैष्णव
रेल मंत्री, भारत सरकार
विषय: रेलवे की NTPC और Group D भर्तियों के संबंध में
2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कहा था कि अगले दो वर्षों में रेलवे के माध्यम से चार लाख नौकरियां दी जाएंगी। ये बयान 24 जनवरी 2019 को तत्कालीन रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल के हवाले से दिया गया। इसके तुरंत बाद रेलवे ने नॉन टेक्क्निकल पॉपुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) में 35,277 पदों के लिए और ग्रुप-डी में 1,03,769 पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी कर दिए। आँखों में बेहतर भविष्य का सपना लिए भारी संख्या में शिक्षित बेरोजगार युवाओं ने इन दो भर्तियों के लिए आवेदन दिया।
बताया गया कि 2 करोड़ 42 लाख छात्रों ने कुल 864 करोड़ रुपए आवेदन शुल्क देकर एनटीपीसी और ग्रुप-डी का फॉर्म भरा। लेकिन लोकसभा चुनाव खत्म होते ही सरकार शायद भूल गयी कि इतनी भारी संख्या में युवा परीक्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रथम चरण की परीक्षा करवाने के लिए भी हमें काफी मशक्कत करनी पड़ी, प्रदर्शन करने पड़े और पिछले रेल मंत्री को भी मैंने पत्र लिखा था। जब मंत्रालय के फेरबदल में आपको रेलवे का नया दायित्व सौंपा गया तो उम्मीद जगी थी कि आप अपने प्रशासनिक अनुभव और संवेदनशीलता के कारण स्थिति को सुधारने का प्रयत्न करेंगे। लेकिन दुख की बात है कि मंत्रालय में नेतृत्व परिवर्तन तो हो गया लेकिन भर्तियों को पूरा करने को लेकर रवैया नहीं बदला। विज्ञापन आए तीन साल पूरा होने को है, लेकिन NTPC का मामला आज तक CBT1 परीक्षा परिणाम में ही फंसा है और Group-D के लिए तो CBT1 की परीक्षा भी नहीं हो पायी है।
15 जनवरी को जब एनटीपीसी के CBT1 का परिणाम आया तो कुल विज्ञापित पदों के बीस गुना उम्मीदवारों का चयन नहीं हुआ। रेलवे ने ये स्पष्टीकरण दिया कि सब कुछ विज्ञापन के अनुसार हुआ है और बीस गुना क्रमांकों को सेलेक्ट किया गया। लेकिन सवाल अब भी यही है कि बीस गुना क्रमांकों को सेलेक्ट करने की बजाए रेलवे बीस गुना छात्रों को सेलेक्ट क्यों नहीं कर सकती? अगर रेलवे को लगता है कि उनके विज्ञापन की भाषा में संशोधन की जरूरत है तो सरकार पूर्णतः अधिकृत है विज्ञापन में ऐसे किसी भी संशोधन के लिए।
स्वयं रेलवे ने ही ग्रुप-डी भर्ती के विज्ञापन में संशोधन किया है जिसके बाद चयन प्रक्रिया और लंबी हो गयी है। बुधवार 24 जनवरी को जारी एक नोटिस के माध्यम से आपके विभाग ने भर्ती प्रक्रिया में CBT2 को भी जोड़ दिया जबकि ग्रुप-डी के लिए सिर्फ CBT1 का प्रावधान था। आपके इस फैसले का उन रेलवे अभ्यर्थियों पर बुरा प्रभाव पड़ा है जो पिछले तीन साल से CBT1 का इंतजार कर रहे थे। आपसे हम जरूर समझना चाहेंगे कि इस फैसले के पीछे आखिर क्या तर्क है। क्या ग्रुप-डी के पदों पर भी दो चरण की परीक्षा जायज है? क्या सरकारी नौकरियां भी पंचवर्षीय योजना बन गयी है? क्या सिर्फ चुनावों को ध्यान में रखकर अब भर्तियां की जाएंगी? अब तो हमें यह आशंका होती है कि क्या केंद्र सरकार युवाओं को नौकरी देने की इच्छुक है भी या नहीं?
इन्हीं कारणों से देशभर के असंतुष्ट युवा अब लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। विशेषकर बिहार के कई शहरों में तो अभ्यर्थियों ने आपका ध्यान आकृष्ट करने के लिए शांतिपूर्ण ढंग से रेल चक्का-जाम किया है। आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि भीषण बेरोजगारी और नौकरियों को लेकर सरकार के ढुलमुल रवैय्ये के कारण युवाओं में आक्रोश पनप रहा है। रेलवे अभ्यर्थी आपकी सरकार के तौर तरीकों को लेकर आशंकित हैं और अपने भविष्य को लेकर घोर असुरक्षा और अनिश्चितता में हैं। अतः इस पत्र के माध्यम से आपसे निवेदन है कि-
• एनटीपीसी के सीबीटी-1 रिजल्ट को रिवाइज करके बीस गुना क्रमांकों को सेलेक्ट करने की बजाए बीस गुना छात्रों को सीबीटी-2 में बैठने का अवसर दिया जाए
• ग्रुप-डी की चयन प्रक्रिया में सीबीटी-2 का चरण न जोड़ा जाए और जल्द से जल्द भर्ती पूरी करके योग्य युवाओं को रेलवे में नियुक्ति दी जाए।
– अनुपम
राष्ट्रीय अध्यक्ष, युवा हल्ला बोल