फासीवाद और साम्प्रदायिकता के खिलाफ कल से सांस्कृतिक अभियान

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29 जनवरी। देश के 500 सौ से अधिक लेखकों और बुद्धिजीवियों द्वारा कल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 74वीं शहादत पर अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रतिरोध अभियान शुरू होगा।

दस से अधिक लेखक संगठनों और जनसंगठनों द्वारा शुरू किया गया यह अभियान देश में विकराल होती साम्प्रदायिकता, फासीवाद और सरकारी दमन वह अत्याचार के विरुद्ध शुरू किया जा रहा है जो साल भर तक चलेगा।

इस अभियान से जुड़े प्रगतिशील लेखक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय के अनुसार, कल इस अभियान को दिल्ली में एक ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिये लांच किया जाएगा। प्रसिद्ध लेखक व संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी इस अभियान के बारे में उदघाटन भाषण देंगे और गांधीजी की शहादत पर एक संगोष्ठी होगी जिसमें प्रसिद्ध गांधीवादी तथा गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, प्रसिद्ध मराठी लेखक राव साहब कस्बे, सूर्यनारायण रणसुभे आदि लेंगे।

कार्यक्रम में भीमा कोरेगांव घटना तथा दिल्ली दंगे के आरोप में फँसाये गए लोगों की रिहाई की मांग से संबंधित एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा।

श्री राय ने बताया कि कल लखनऊ, रांची, इलाहाबाद में भी ऑनलाइन कार्यक्रम होंगे। आज भी प्रसिद्ध कवि व जनसंस्कृति मंच के संस्थापक गोरख पांडेय की स्मृति में कार्यक्रम हो रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना का संकट खत्म होते ही हम लोग एक बड़ा राष्ट्रीय सम्मेलन करेंगे जिसमें सभी भारतीय भाषाओं के लेखकों को आमंत्रित किया जाएगा। इस अभियान में इप्टा, जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ, जन संस्कृति मंच, दलित लेखक संघ, अखिल भारतीय दलित महिला लेखक संघ, जन नाट्य मंच, लिखावट, संगवारी समेत कई संगठन शामिल हैं। इस अभियान में और संगठनों को भी जोड़ा जाएगा।

हिंदी-उर्दू के नामी-गिरामी लेखकों वह शायरों की स्मृति में यह अभियान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगा। इस अभियान में लेखकों का मार्च, सम्मेलन, रचना पाठ, नाट्य मंचन, पोस्टर, संगोष्ठी आदि आयोजित होंगे और पत्रिकाओं के प्रतिरोध-साहित्य केंद्रित अंक निकाले जाएंगे।

लेखकों से अपील की गयी है कि वे अपने शहरों में इस तरह की गतिविधियां करें और एक राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार कर सभी प्रगतिशील व जनवादी ताकतों को जोड़ा जाए।

इस अभियान से ज्ञानरंजन, नरेश सक्सेना, अशोक वाजपेयी, इब्बार रब्बी, असग़र वज़ाहत, राजेश जोशी, पंकज बिष्ट, विष्णु नागर, रविभूषण, वीरेंद्र यादव, रामजी राय, रेखा अवस्थी, विजय कुमार समेत 500 से अधिक लेखक जुड़े हैं।

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