आंदोलनकारी छात्रों-अभ्यर्थियों की रिहाई की मांग

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6 फरवरी। रेलवे की आरआरबी-एनटीपीसी और ग्रुप डी की भर्तियों के लिए आंदोलन कर रहे युवाओं पर पुलिसिया जुल्म ढाने के खिलाफ आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा बल्कि यह गहराता जा रहा है। आंदोलनकारी छात्रों-अभ्यर्थियों पर बड़ी संख्या में मुकदमे थोप दिये गये हैं। क्या इस तरह भर्तियों के मसले को दबाया जा सकता है? क्या पता, बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकारें ऐसा ही सोचती हों! गिरफ्तारी और थोपे गए मुकदमों के संबंध में युवा हल्लाबोल के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने बिहार के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है, जो इस प्रकार है-

माननीय मुख्यमंत्री
बिहार सरकार

विषय: रेलवे भर्ती आंदोलन में गिरफ्तार हुए छात्रों के संबंध में

हाल ही में भारतीय रेल की आरआरबी एनटीपीसी और ग्रुप-डी भर्तियों में शिकायत को लेकर रेलवे अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया था। बिहार से भारी संख्या में इन परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थी आवेदन करते हैं। इसी कारण बिहार इन प्रदर्शनों का केंद्र बन गया और राज्य के कई शहरों में छात्रों ने रेलवे का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयत्न किया। ज्ञात हो कि ज़मीन पर आंदोलन शुरू करने से पहले इन अभ्यर्थियों ने करोड़ों की संख्या में ट्वीट करके रेलवे तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश भी की थी।

प्रदर्शनों के बाद केंद्र सरकार ने छात्रों की मांगों का संज्ञान तो लिया लेकिन बिहार पुलिस ने पटना के पत्रकार नगर थाने में मुकदमा दायर करके चार छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। पिछले 28 जनवरी की शाम मैंने पटना पहुँचकर गिरफ्तार छात्रों के परिजनों से मुलाकात की तो उनके बारे में काफी कुछ पता चला। ये सभी छात्र अत्यंत गरीब परिवारों से आते हैं और एक बेहतर भविष्य का सपना लिए पटना में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे। इनमें से एक छात्र तो एनटीपीसी की सीबीटी-1 परीक्षा उत्तीर्ण कर चुका है। किसान मजदूर परिवेश से आने वाले इनके परिजनों का कहना है कि इन छात्रों ने किसी तरह की हिंसा नहीं की। यदि वहाँ कोई हिंसक प्रवृत्ति का उपद्रवी तत्व था तो वो भाग निकला होगा लेकिन पुलिस ने इन आम छात्रों को पकड़ कर खूब पिटाई की। इस अन्यायपूर्ण पुलिसिया कार्रवाई के कारण गरीब परिवार मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे हैं।

‘युवा हल्ला बोल’ आंदोलन की तरफ से हमारी लीगल टीम ने न्यायालय में इन छात्रों की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया है, लेकिन सरकारी वकील द्वारा जमानत का विरोध करने के कारण ये छात्र आज भी जेल में कैद हैं। पटना के हमारे साथियों से मिली सूचना के आधार पर ऐसा लग रहा है जैसे कि छात्र और उनके शिक्षक घबराए हुए हैं। वाजिब हक़ मांग रहे छात्रों पर हुए मुकदमों और पुलिसिया कार्रवाई के कारण ही डर का ऐसा माहौल बना है।

मुझे आपको पत्र लिखने का विचार इस कारण आया कि आपकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ट्वीट करके इस छात्र आंदोलन का समर्थन किया है। इसके अलावा 31 जनवरी को आपकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद सदस्य नीरज सिंह जी ने भी मुझे आश्वस्त किया था कि वो इस मामले में पूरी संवेदनशीलता से छात्रों के साथ खड़े हैं। देश की संसद में भी पक्ष विपक्ष के नेताओं ने रेलवे अभ्यर्थियों की मांगों का समर्थन किया है। इन सबके बावजूद यह देख कर आश्चर्य और पीड़ा होती है कि छात्र अभी तक हिरासत में हैं।

आपसे विनम्र निवेदन है कि इन छात्रों पर दर्ज मुकदमों को वापिस लिया जाए ताकि इनके करियर पर कोई दोष न रहे और ये अपने गरीब परिवार को एक बेहतर भविष्य दे सके। साथ ही, आपसे यह भी अपेक्षा है कि मुख्यमंत्री के नाते और आंदोलनों से पुराना नाता होने के कारण आप इस डर के माहौल को अपने सकारात्मक बयानों के जरिए कम करने की कोशिश करेंगे।

– अनुपम

संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष
‘युवा हल्ला बोल’ आंदोलन
संपर्क: 9810408888
ट्विटर: @AnupamConnects

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