लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रह गई थीं मलिन बस्तियों में रहने वाली दो-तिहाई किशोरियाँ

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6 मार्च। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली, बिहार, महाराष्ट्र और तेलंगाना आदि शहरों में करीब 68 फीसदी किशोर बच्चियों को स्वास्थ्य और पोषण संबंधी सेवाएं और सुविधाएं नहीं मिल पाई थी। यह जानकारी 02 मार्च 2022 को सेव द चिल्ड्रन द्वारा जारी रिपोर्ट ‘वर्ल्ड ऑफ इंडियाज गर्ल्स (विंग्स) 2022’ में सामने आई है। इतना ही नहीं लॉकडाउन के बाद (नवंबर 2020 से जनवरी 2021) भी करीब 51 फीसदी से ज्यादा बच्चियों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

सेव द चिल्ड्रन ने अपनी इस रिपोर्ट में लॉकडाउन के दौरान (अप्रैल से जून 2020) 10 से 18 वर्ष की उम्र की किशोर बच्चियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास पर पड़ने वाले असर के बारे में जानकारी साझा की है। यह रिपोर्ट विशेषतौर पर दिल्ली, नासिक, पुणे, हैदराबाद, रंगारेड्डी, पटना और पूर्वी चम्पारण आदि के मलिन बस्तियों में रहने वाली किशोरियों पर आधारित है।

यदि पूरे देश की बात करें तो देश में आज भी गरीबी के बीच रह रही बच्चियों का जीवन आसान नहीं है, उन्हें स्वास्थ्य और पोषण के मामले आज भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लाकडाउन के दौरान उपरोक्त सुविधाएं और दुष्कर हो गयी थीं।

सर्वे में 78 फीसदी माताओं ने माना कि लॉकडाउन के दौरान उनकी किशोर बच्चियों को सैनिटरी नैपकिन मिलने में कठिनाई हुई थी, जिसके लिए उन्होंने प्रशासनिक तंत्र और दुकानों के बन्द होने को जिम्मेवार माना।

शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं भी इससे अछूती नहीं रही। लॉकडाउन के दौरान शिक्षा पर भी इसका व्यापक असर पड़ा। जरूरी संसाधन उपलब्ध न होने के कारण लगभग 67 फीसदी किशोरियों को आनलाइन क्लासेस नहीं कर पाई थी।

शिक्षा संस्थानों के बंद होने के कारण 32 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए थे जिनमें से अधिकांश (करीब 86 फीसदी) प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर थे। सर्वे में शामिल 73 फीसदी माताओं ने माना कि लॉकडाउन ने उनकी बच्चियों की पढाई पर बुरा असर डाला है। वहीं इस दौरान 42 फीसदी बच्चियों की स्कूल ने कोई सुध नहीं ली थी।

साथ ही करीब 23 फीसदी बच्चियों को किसी तरह की शिक्षण सामग्री नहीं मिल पाई थी। वहीं 46 फीसद बच्चियों के पास उनकी कोर्स बुक नहीं थी, जबकि 44 फीसदी माताओं का कहना था कि उनकी बच्चियां परेशान और चिंतित थी।

(Down to earth से साभार)

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