22 मार्च। पिछले 50 वर्षों में आर्कटिक बाकी धरती की तुलना में तीन गुना अधिक गर्म हो रहा है। अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जंगल की आग इस विसंगति को बढ़ाने में मदद कर रही है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बायोमास के जलने से उत्पन्न होने वाला ब्राउन कार्बन हमारे जलवायु को दोगुनी गति से गर्म करने के लिए जिम्मेदार है।
2021 में जंगलों में लगी आग ने दुनिया भर में रिकॉर्ड तोड़ दिया। आग की इन घटनाओं ने दुनिया भर में कैलिफोर्निया से साइबेरिया तक की भूमि को जला दिया। आग का खतरा लगातार बढ़ रहा है और पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि 2050 तक जंगल की आग 50 फीसदी बढ़ने की राह पर है।
आग घरों, पौधों के जीवन और जानवरों को जलाते हुए नष्ट कर देती है। लेकिन इससे होने वाला खतरा कभी रुकता नही है। शोधकर्ताओं ने विस्तार से बताया कि कैसे उत्तरी गोलार्ध में बायोमास को जलाने से जारी ब्राउन कार्बन आर्कटिक के तापमान को बढ़ा रहा है, इसके चलते भविष्य में जंगल की आग के और भी बढ़ने की चेतावनी दी गई है।
जंगल की धधकती आग के साथ भूरे रंग के धुएँ के विशाल ढेर होते हैं, जो हवा में छोड़े गए भूरे कार्बन के कणों से बने होते हैं। यह धुआँ स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है और यहाँ तक कि गर्मियों में सूरज के प्रकाश को भी रोक सकता है। शोधकर्ताओं को संदेह है कि यह ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी यह जिम्मेवार हो सकता है।
2017 में चीनी आइसब्रेकर पोत ज़ू लॉन्ग आर्कटिक महासागर की ओर यह जाँचने के लिए गए कि कौन से एरोसोल प्राचीन आर्कटिक हवा में तैर रहे हैं। उन्होंने उनके स्रोतों की पहचान की। जहाज पर मौजूद वैज्ञानिक इस बात को लेकर विशेष रूप से उत्सुक थे कि जंगल की आग से निकलने वाला भूरा कार्बन जलवायु को कैसे प्रभावित कर रहा है। कार्बन डाइऑक्साइड के बाद दूसरा सबसे शक्तिशाली वार्मिंग एजेंट, उच्च तापमान वाले जीवाश्म ईंधन जलने से सघन ब्लैक कार्बन की तुलना में इसका वार्मिंग प्रभाव कैसे प्रभावित करता है।
उनके परिणामों से पता चला कि ब्राउन कार्बन पहले की तुलना में तापमान को अधिक बढ़ाने में योगदान दे रहा था। अध्ययनकर्ता पिंगकिंग फू ने बताया कि अवलोकन संबंधी विश्लेषण और संख्यात्मक सिमुलेशन से पता चलता है कि आर्कटिक पर ब्राउन कार्बन एरोसोल के बढ़ते तापमान का प्रभाव ब्लैक कार्बन के लगभग 30 फीसदी तक है। पिंगकिंग फू टियांजिन विश्वविद्यालय में एक वायुमंडलीय रसायनज्ञ हैं।
ब्लैक कार्बन और कार्बन डाइऑक्साइड की तरह, ब्राउन कार्बन सौर विकिरण को अवशोषित करके ग्रह को गर्म करता है। चूंकि हाल के वर्षों में बढ़ते तापमान को जंगल की आग में वृद्धि करने के रूप में देखा गया है। फू कहते हैं कि ब्राउन कार्बन एरोसोल में वृद्धि से पूरी दुनिया और क्षेत्रीय तापमान बढ़ेगा, जिससे जंगल में आग लगने के आसार और आवृत्ति बढ़ जाती है। बढ़ती हुई जंगल की आग की घटनाओं से अधिक भूरे कार्बन एरोसोल का उत्सर्जन होगा, जो पृथ्वी को और गर्म करेगा, इस प्रकार जंगल की आग की घटनाएं अधिक बढ़ जाएंगी।
फू और उनके सहयोगियों ने भविष्य के शोध में यह जाँच करने की योजना बनाई है कि जंगल की आग ब्राउन कार्बन के अलावा अन्य स्रोतों से एरोसोल संरचना को कैसे बदल रही है। विशेष रूप से, बायोएरोसोल पर आग के प्रभाव किस तरह के हैं, जो पौधों और जानवरों से उत्पन्न होते हैं। इसमें रोगजनकों सहित जीवित जीव शामिल हो सकते हैं। इस बीच, फू ने आग्रह किया कि जंगल की आग को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जाए। उन्होंने कहा हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि जंगल की आग को नियंत्रित करना कितना महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन जर्नल वन अर्थ में प्रकाशित हुआ है।
(Down to earth से साभार)
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