27 मार्च। देश के दस प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साझा आह्वान पर आज और कल यानी 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल आयोजित की गयी है। मौजूदा सरकार के राज में इससे पहले भी कई बार दस प्रमुख केंद्रीय ट्रेड यूनियन हड़ताल आयोजित कर चुके हैं लेकिन सरकार ने उनसे एक बार भी बातचीत करने की जरूरत नहीं समझी। मजबूर होकर एक बार फिर श्रमिक हड़ताल पर जाने को विवश हुए हैं। जिस तरह पूंजीपतियों की मुराद पूरी करने के लिए श्रम संबंधी कानूनों में धड़ाधड़ बदलाव किए गये वह श्रमिक विरोधी तो है ही, राष्ट्रीय संसाधनों को मुट्ठी भर लोगों को सौंपे जाने की प्रक्रिया को और तेज करेगा। यही नहीं, यह प्रक्रिया दमनचक्र और मानवाधिकार हनन के रूप में भी कहर बरपाएगी। इन नीतियों और फैसलों का विरोध करना देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए भी जरूरी है। संयुक्त किसान मोर्चा समेत कई छात्र संगठनों और सामाजिक संगठनों ने भी इस हड़ताल का और श्रमिक संगठनों के 12 सूत्री मांगपत्र का समर्थन किया है।
12 सूत्री मांगपत्र इस प्रकार है-
# श्रम संहिता रद्द करो, आवश्यक प्रतिरक्षा सेवा अधिनियम (ई डी एस ए) समाप्त करो।
# कृषि कानून वापसी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की 6 सूत्रीय मांग पत्र को पूरा करो।
# नेशनल मोनिटाइजेशन पाॅलिसी रद्द करो, सभी सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण की नीति पर तत्काल रोक लगाओ, हर किस्म का निजीकरण बन्द करो।
# गैर आयकर दाता परिवार को प्रतिमाह 7500 रूपये की नगद और खाद्य सहायता प्रदान करो।
# मनरेगा के आवंटन में वृद्धि करो, शहरी गरीबों को भी रोजगार गारंटी कानून के लाभ दो।
# आंगनवाडी़, मितानिन, मध्याह्न भोजन कर्मी और अन्य योजना को नियमित वेतन और सामाजिक सुरक्षा दो।
# सभी अनौपचारिक क्षेत्र के मजदूरों को सार्वभौम सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराओ।
# महामारी के दौरान जनता की सेवा करने वाले अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को सुरक्षा और बीमा सुविधा उपलब्ध कराओ।
# राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और सुधारने के लिए संपदा कर आदि के माध्यम से अमीरों पर लगा कर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सार्वजनिक आवश्यकताओं में सार्वजनिक निवेश बढा़ओ।
# पेट्रोल उत्पाद पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क में पर्याप्त कटौती करो और मूल्यवृद्धि को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।
# ठेका श्रमिक, योजना कर्मियों का नियमतीकरण करो और सभी को समान काम का समान वेतन दो।
# नयी पेंशन योजना को रद्द कर, पुरानी पेंशन योजना बहाल करो, कर्मचारी पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन में पर्याप्त वृद्धि करो।
# संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आह्वान पर सभी किसान संगठन अपने – अपने जिलों में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल का समर्थन करें।