9 अप्रैल। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार की हाल की घोषणाओं पर गहरी चिंता जताते हुए कहा है कि मोदी सरकार किसान विरोधी अभियान चलाकर किसान से बदला लेने पर आमादा है।
मोर्चे ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा संसद में दिए उस जवाब पर हैरानी व्यक्त की है जिसमें उन्होंने किसान की आय बढ़ाने की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर यह कहकर डाल दी है कि कृषि राज्य सरकार का विषय है। मोर्चा ने यह याद दिलाया है कि अगर ऐसा है तो केंद्र सरकार ने किस अधिकार से किसान विरोधी कानून बनाए थे? अगर किसानों की आय बढ़ाना राज्यों का काम है तो प्रधानमंत्री ने आय दोगुना करने की घोषणा क्यों की थी? एमएसपी की घोषणा प्रतिवर्ष केंद्र सरकार क्यों करती है? अगर किसानों का भला राज्य सरकार की जिम्मेवारी है तो केंद्र सरकार में ‘किसान कल्याण’ मंत्रालय क्यों है?
संयुक्त किसान मोर्चा ने DAP व NPKS खाद के दामों में बढ़ोतरी पर भी चिंता जाहिर की है और कहा है कि ऐसा लगता है सरकार किसानों से बदला ले रही है। पिछले साल 18 मई को इफको ने 50 किलोग्राम वाली DAP खाद की बोरी में 55.3 फीसद दाम का इजाफा कर दिया था।
हाल ही में केंद्र सरकार ने किसानों के साथ फिर से छलावा करते हुए खाद के दामों में बढ़ोतरी कर दी है। सब्सिडी के बाद भी ₹1200 प्रति बोरी मिलने वाली DAP के दाम में ₹150 बढ़ोतरी कर दी गयी है जिसके कारण अब यह बोरी किसान को ₹1350 में मिलेगी। वहीं NPKS की एक बोरी जो ₹1290 में मिल रही थी, उसमे ₹110 प्रति बोरी बढ़ोतरी कर दी है व अब इसका दाम ₹1400 हो गया है। समूचे भारत के किसान हर साल 1.20 लाख टन DAP खाद का प्रयोग करते है। हाल के दाम बढ़ने से किसानों पर ₹3,600 करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा। वहीं NPKS के दाम बढ़ने के कारण ₹3,740 करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।
पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद रोज पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ रहे है व कुल 10₹ से भी अधिक वृद्धि हो गयी है। एक तरफ जहां किसानों को दी जानेवाली MSP में कोई बढ़ोतरी नहीं है वहीं कृषि प्रक्रिया में लागत राशि (इनपुट कास्ट) में भारी वृद्धि हो रही है। सरकार एक हाथ से किसान सम्मान निधि के नाम पर पैसा देती है लेकिन दूसरे हाथ से डीजल व खाद के बढ़ते दामों के चलते किसान से ज्यादा पैसा छीन लेती है।
केंद्र सरकार के 2022 में किसानों की आय दुगुनी करने के जुमले का भंडाफोड़ संसद की ही एक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में किया है जिसमें बताया गया है कि 4 राज्यों में तो किसानों की आय बढ़ने की बजाय 30 प्रतिशत तक कम हो गयी है। संसदीय समिति की रिपोर्ट से यह भंडाफोड़ भी हुआ है कि पिछले तीन साल में कृषि मंत्रालय बजट में स्वीकृत राशि को खर्च करने में असफल रहा और 67,929 करोड़ रुपए भारत सरकार को वापस किया। रिपोर्ट ने यह स्वीकार किया है कि “किसान मानधन योजना” के नाम से किसान को पेंशन देने की योजना पूरी तरह फेल हो चुकी है।
इन तमाम सबूतों से मोदी सरकार का किसान विरोधी रवैया फिर से साफ हो चुका है। संयुक्त किसान मोर्चा किसानों को इस बारे में आगाह करते हुए सरकार को चेतावनी देना चाहता है कि देश का किसान अब जाग चुका है और वह अपने खिलाफ षड्यंत्र को बर्दाश्त नहीं करेगा।
जारीकर्ता –
डॉ दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव