27 अप्रैल। गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को असम की कोकराझार कोर्ट ने जमानत दे दी थी। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ट्वीट से जुड़े मामले में ये जमानत मिली थी। लेकिन फिर खबर आयी कि उन्हें बारपेटा पुलिस ने एक अन्य मामले में फिर से गिरफ्तार किया है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि जिग्नेश मेवाणी को एक अन्य मामले में जमानत मिलने के बाद अधिकारियों पर ‘हमला करने’, ‘अश्लील कृत्यों’ के आरोप में असम में फिर से गिरफ्तार किया गया है। रविवार को अदालत ने मेवाणी को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मेवाणी के वकील अंगशुमान बोरा ने बताया कि अदालत ने जिग्नेश मेवाणी को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पुलिस ने 10 दिन की हिरासत माँगी थी। पुलिस ने कहा, अगर अदालत जमानत नहीं देगी, तो हम उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।
गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की आज फिर से गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल के इंडिया बोर्ड के अध्यक्ष आकार पटेल ने कहा, कि जिग्नेश मेवाणी को जमानत दिए जाने के तुरंत बाद दूसरी बार गिरफ्तार किया जाना, अधिकारियों द्वारा कानून की पूरी तरह से अवहेलना है। मेवाणी की पुनः गिरफ्तारी और कुछ नहीं बल्कि राज्य विधानसभा चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं को चुप कराने के लिए राजनीति से प्रेरित है। असहमति की आवाजों को लगातार कम करके भारतीय अधिकारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का मजाक बना रहे हैं। अधिकारियों का आलोचकों के खिलाफ नकारात्मक रवैया भारत के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य के रूप में इसकी भूमिका को पूरी तरह से कमजोर करता है।