21मई। मुण्डका इलाके में 13 मई को सीसीटीवी कैमरे बनाने वाली एक फैक्ट्री में भंयकर आग लगने से 27 मजदूरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। कई अन्य मजदूर घायल हो गए थे। इस घटना के बाद विभिन्न मजदूर संगठनों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है, जिसके कारण रोज दिल्ली के आला अधिकारिओं के आवास के सामने विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है। मुण्डका समेत दिल्ली के अन्य हिस्सों में लगातार हो रही दुर्घटनाओं के विरोध में आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) ने मुख्यमंत्री के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही शुक्रवार को क्रान्तिकारी मजदूर पार्टी (आरडब्लूपीआई), द्वारा दिल्ली सचिवालय पर दिल्ली सरकार के समक्ष प्रदर्शन आयोजित किया। यह प्रदर्शन बीते दिनों मुण्डका फैक्ट्री अग्निकांड के सन्दर्भ में था। आरडब्लूपीआई ने इस घटना के शिकार हुए श्रमिकों को इंसाफ, उचित मुआवजा व अन्य माँगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
ऐक्टू के नेतृत्व में दिल्ली के विभिन्न इलाकों से आए मजदूरों ने सुश्रुत ट्रामा सेंटर से मार्च निकालते हुए मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय के निकट विरोध सभा की। प्रदर्शन में छात्र संगठन ‘आईसा’ ने भी भागीदारी की। कुछ दिन पहले 17 मई को भी ऐक्टू व अन्य ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा दिल्ली के श्रम मंत्री मनीष सिसौदिया के आवास के बाहर, मुण्डका अग्निकांड के संबंध में प्रदर्शन किया गया था। ऐक्टू के राज्य अध्यक्ष संतोष राय ने कहा, कि कई धरने-प्रदर्शनों के बाद भी कार्यस्थल पर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर सरकार बिल्कुल गम्भीर नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अन्य राज्यों में जाकर झूठे वादे कर रहे हैं, और प्रधानमंत्री मोदी विदेश यात्राओं में ही व्यस्त हैं। मजदूरों की रोजी-रोटी, रोजगार तथा सुरक्षा पर दोनों सरकारें चुप हैं।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि ताजा घटना जिसमें 50 लोगों (सरकारी आँकड़ों के मुताबिक कम से कम 27 मौतों की पुष्टि हुई है) की जान चली गयी, जबकि कई अन्य के लापता होने की खबर है। ये घटना शहर के श्रमिकों के प्रति दिल्ली सरकार के ‘पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना और असंवेदनशील व्यवहार’ को दर्शाती है। उन्होंने कहा, इस दर्दनाक घटना के लिए श्रम मंत्री मनीष सिसौदिया को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। दिल्ली में हर रोज मजदूर या तो किसी सीवर में मारे जाते हैं या फैक्ट्रियों के अंदर काम करते हुए। मजदूर संगठनों का कहना है, कि अगर राज्य और केंद्र की सरकारें देश की राजधानी में भी मजदूरों की सुरक्षा की गारंटी नही ले सकतीं तो इससे बड़े दुख की बात और क्या होगी?
ऐक्टू ने आज प्रदर्शन के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय को ज्ञापन सौंपते हुए ये माँग की है कि मुण्डका अग्निकांड में मारे गए प्रत्येक मजदूर के परिवार को 50 लाख का मुआवजा और आश्रित को नौकरी दी जाए। घटना में 27 से ज्यादा मजदूरों के मारे जाने की संभावना को देखते हुए मृतकों-घायलों की संख्या की जाँच की माँग भी उठायी गयी।
इन संगठनों की माँग निम्नलिखित है –
1– दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया जाएं।
2– सारे श्रम कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
3– मुण्डका की घटना के दोषी मालिकों को सख्त सजा दी जाए।
4– पीड़ित परिवारों को 50 लाख का मुआवजा तत्काल प्रदान किया जाए।
5– इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए श्रम मंत्री और मेयर एमसीडी तत्काल इस्तीफा दें।
दिल्ली के मजदूर सगठनों ने संयुक्त मंच की तरफ से मनीष सिसौदिया को ज्ञापन सौंपा गया। विभिन्न सरकारी एजेंसियों को बुलाकर ट्रेड यूनियन संगठनों के साथ वार्ता आयोजित की जाए जिससे भविष्य में ऐसी घटना दुबारा न हो सके। ऐक्टू की राज्य सचिव श्वेता ने यह कहा, कि दिल्ली के मजदूरों के पास पेट की आग से भूखों मरने और फैक्ट्री की आग में जलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। संसद और विधानसभा में मजदूरों के मुद्दों को लेकर कोई बातचीत नहीं हो रही। आनेवाले दिनों में मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे मजदूर-विरोधी श्रम कोड कानूनों के चलते ऐसी घटनाएँ और बढ़ेंगी। ऐक्टू कार्यस्थल पर मजदूरों की सुरक्षा को लेकर आगे भी मजदूरों का पक्ष मुखर रूप से उठाता रहेगा। दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में इस मुद्दे को लेकर संयुक्त अभियान भी चलाया जाएगा।
(Workers unity से साभार)