आदिवासी इलाकों से भी उठी तीस्ता सीतलवाड़ की रिहाई की मांग

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1 जुलाई। मानवाधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार तीस्ता सेतलवाड़ की रिहाई को लेकर लगभग सभी शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। उनकी रिहाई की मांग आदिवासी इलाकों में भी की जा रही है। दरअसल तीस्ता के नेतृत्व में आदिवासी हलकों में सीजेपी (सिटीजंस फॉर पीस एंड जस्टिस) ने वन अधिकारों को लेकर लगातार काम किया है। सोनभद्र के बाद चित्रकूट के मानिकपुर में आदिवासी महिलाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया और एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।

अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन की राष्ट्रीय महासचिव रोमा ने बताया कि यूपी के साथ देश के अन्य आदिवासी इलाकों में भी तीस्ता के समर्थन में इस लड़ाई को जारी रखा जाएगा। यूनियन ने एनटीयूआई और नागरिक अधिकार मंच के साथ भी तीस्ता की रिहाई को लेकर वक्तव्य जारी किया है।

ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल (AIUFWP) के बैनर तले सेतलवाड़ की रिहाई की मांग को लेकर आदिवासी इलाकों में प्रदर्शन जारी रखा। 29 जून को चित्रकूट की आदिवासी महिलाओं ने मानिकपुर ने उप जिलाधिकारी को इस आशय का ज्ञापन सौंपा। यूनियन नेता मातादयाल और रानी आदि के नेतृत्व में महिलाओं ने दो टूक कहा कि तीस्ता सेतलवाड़ को कोर्ट की टिप्पणी पर जिस तरह आनन फानन में हाथोंहाथ गिरफ्तार किया गया है उसमे षड्यंत्र की बू आ रही है। हम इस अन्यायपूर्ण और दमनकारी कार्यवाही की पुरजोर भर्त्सना और निंदा करते हैं और तीस्ता की अविलंब रिहाई की मांग करते हैं।

इस दौरान आदिवासी महिलाओं ने नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ के समर्थन में जोरदार नारेबाजी भी की। उधर, एनटीयूआई और नागरिक अधिकार मंच ने अपने वक्तव्य में तीस्ता की गिरफ्तारी को नागरिक अधिकारों का सरासर हनन बताया और एटीएस की कार्रवाई पर भी बड़ा सवाल उठाते हुए तीस्ता की रिहाई की मांग की।

“सरकार को सत्ता के खिलाफ खड़े होने और सवाल करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने का लाइसेंस”
NTUI (नेशनल ट्रेड यूनियन इनिशिएटिव) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सत्ता के खिलाफ खड़े होने और सवाल करने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने का लाइसेंस दे दिया है। वास्तव में देखा जाए तो इस में एक तरह से कहा गया है कि अगर देश के सबसे शक्तिशाली लोगों से सवाल किया जाता है तो सरकार प्रतिशोध की हकदार है।

देशभर की लोकतांत्रिक ताकतों के साथ एनटीयूआई ने मांग की है कि तीस्ता सेतलवाड़ और आरबी श्री कुमार के खिलाफ प्राथमिकी तुरंत वापस लेते हुए, उनकी रिहाई की अनुमति दी जाए। एनटीयूआई का मानना ​​है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसले को रद्द किया जाना चाहिए। उन्होंने देश के सभी प्रगतिशील संगठनों को साथ मिलकर, मामले की व्यापक समीक्षा को आगे आना चाहिए।

नागरिक अधिकारों का सरासर हनन है तीस्ता की गिरफ्तारी

नागरिक अधिकार मंच सहारनपुर ने अपने वक्तव्य में तीस्ता की गिरफ्तारी को नागरिक अधिकारों का सरासर हनन बताया और तीस्ता की रिहाई की मांग की। मंच ने इसे न्यायिक इतिहास की विडंबना करार देते हुए कहा कि पहली बार है जब “वादी” को ही गुनहगार बना दिया गया है। वो सब भी बिना किसी जांच के किया गया है जो नागरिक अधिकारों का सरासर हनन है।

मंच ने तीस्ता सेतलवाड़ के खिलाफ की गई अवैधानिक कार्रवाई को आतंकवाद से जोड़े जाने की कोशिशों पर भी सवाल उठाए। कहा कि यह भी विडंबना ही है कि तीस्ता सेतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्री कुमार के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (ATS) के द्वारा की गई है। और उसी के द्वारा जांच भी की जा रही है जबकि यह मामला आतंकवाद का है ही नहीं। हम इस कार्यवाही की निंदा और भर्त्सना करते हैं।

इससे पूर्व जारी निंदा प्रस्ताव में ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेस्ट वर्किंग पीपल ने कहा था कि तीस्ता जी लंबे समय से वंचितों, पीड़ितों और शोषितों की आवाज बनी थीं। सरकार ने इन आवाज़ों का गला घोटने के लिए यह निंदनीय कार्यवाही की है। कहा था की याद रहे, कि आज ही के दिन सन् 1975 में देश में एमरजेंसी थोपते हुय लाखों निर्दोष लोगों को जेलों में ठूसा गया था। विडंबना है कि आज ही के दिन 25 जून को गुजरात एटीएस द्वारा उनको गिरफ्तार किया गया है। अत: हम सब इसकी पुरजोर निंदा करते हैं और तीस्ता जी के संघर्ष में उनके साथ खड़े हैं।

– नवनीश कुमार

(सबरंग हिंदी से साभार)

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