बिहार की बाढ़ पर परिचर्चा

0

17 जुलाई। बाढ़ को अभिशाप से वरदान कैसे बनाया जाय विषय पर ए एन सिंह सामाजिक शोध संस्थान में एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन “बिहार विमर्श” द्वारा किया गया। इस परिचर्चा में बिहार के जाने-माने सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हुए।

‘बिहार विमर्श’ के संयोजक डा. शंभू श्रीवास्तव ने चर्चा के संदर्भ को रखा। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इस सवाल पर ध्यान देना शुरू किया कि बिहार इतना पिछड़ा क्यों है, तो उन्होंने पाया कि बिहार का विकास बिना उत्तर बिहार के विकास के संभव नहीं है और उत्तर बिहार का विकास बाढ़ की समस्या को समझे और सुलझाए बगैर संभव नहीं है। इसलिए आज की परिचर्चा बहुत महत्त्वपूर्ण है।

पानी के विशेषज्ञ रंजीव जी, पूर्व आईएएस अधिकारी श्री गजानन मिश्र और उमेश राय जी ने कहा कि बाढ़ अभिशाप बांधों की वजह से बना है। अगर सरकार नदियों को बहने दे और पानी के प्रभाव को गलत ढंग से बनी सड़क, रेल, पुल, बांध द्वारा नहीं रोका जाय तो पूरा उत्तर बिहार का इलाका समृद्ध हो जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सरकारी आंकड़ा है कि बांध बनाने के बाद भी बाढ़ का इलाका करीब तीन गुना बढ़ गया है।

बिहार विमर्श के सह संयोजक शाहिद कमाल ने कहा कि बाढ़ आने की वजह राजनीति भी है। राजनेता, ठेकेदार और अफसर बांध बनाने की प्रक्रिया में करोड़ों कमाते हैं इसलिए वे बांध बनाने में बहुत रुचि लेते हैं।

कदवा, कटिहार के विधायक शकील अहमद ख़ान ने अपने इलाके की बात रखी और कहा कि उनके इलाके में हर साल बाढ़ आती है। जनता की इस परेशानी में सरकार की भूमिका बहुत सीमित है। उनका रिलीफ भी लोगों तक नहीं पहुंच पाता और भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर है। आपदा विभाग के पास भी जरूरी संसाधन नहीं इसलिए व्यवस्थाओं की भारी कमी रहती है।

चर्चा के अंत में यह निर्णय लिया गया कि बिहार विमर्श चर्चा में निकले बिंदुओं को व्यापक रूप से जनता का विमर्श बनाना जरूरी है, साथ ही सरकार को भी सुझाव दिया जाएगा।

चर्चा की अध्यक्षता ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर डा हबीबुल्लाह ने की। मंच संचालन शाहिद कमाल ने किया।

विमर्श में सीटू, उदयन राय, आशीष रंजन, पुष्य मित्र, जौहर, मिथिलेश, राजीव रंजन नाग, विजय प्रताप, प्रो बी एन विश्वकर्मा, प्रो सतीश, महेंद्र यादव, आशीष रंजन, डा मिथिलेश कुमार, इन्दिरा रमन उपाध्याय आदि ने अपने विचार रखे।


Discover more from समता मार्ग

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Comment