मुंबई का फेफड़ा कहे जानेवाले आरे वन के अधिग्रहण के विरोध में प्रदर्शन

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25 जुलाई। मुंबई पुलिस ने सोमवार को आरे कॉलोनी क्षेत्र में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी और आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत नोटिस जारी किये जाने के बावजूद वहाँ विरोध प्रदर्शन करने पहुँचे दो लोगों को हिरासत में ले लिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। वनराय पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया, कि पुलिस ने रविवार को तबरेज सैय्यद और जयेश भिसे को सीआरपीसी की धारा 149 के तहत नोटिस दिया था, जिसमें उन्हें आरे में मेट्रो कार शेड के निर्माण का विरोध करने के लिए अवैध रूप से एकत्र होने से रोका गया था।

उन्होंने कहा, कि इलाके में पुलिस की तैनाती बढ़ाने के साथ बैरिकेड लगाए गए हैं और सड़कों को या तो बंद कर दिया गया है या मार्ग में बदलाव किया गया है। प्रदर्शनकारियों के मुताबिक, आरे कॉलोनी इलाके में सिर्फ निवासियों को ही प्रवेश दिया जा रहा है और पुलिस बाहर से आनेवाले लोगों को रोक रही है। सोशल मीडिया पर आरे में पेड़ों को गिराने और काटने का एक वीडियो प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रसारित किया जा रहा है।

एक अधिकारी ने कहा, कि बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) उपक्रम ने पेड़ों की कटाई के कारण वहाँ से चलनेवाली कुछ बसों के मार्ग में परिवर्तन किया है। संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान से सटे 1,287 हेक्टेयर में फैली आरे कॉलोनी को मुंबई के प्रमुख हरित फेफड़े (green lung) के रूप में जाना जाता है। साल 2019 में भाजपा-शिवसेना सरकार अपनी चल रही मेट्रो परियोजना के लिए इस वन-भूखंड पर एक शेड का निर्माण करना चाह रही थी। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पिछली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के आधार पर प्रस्तावित इस कार शेड को आरे कॉलोनी से कांजुरमार्ग में स्थानांतरित कर दिया था लेकिन यह मुद्दा कानूनी विवाद में उलझ गया। बता दें कि ठाकरे सरकार ने भी आरे को संरक्षित वन घोषित किया था।

पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ताओं के अनुसार, जंगल न केवल शहर के लोगों को ताजा हवा देता है बल्कि यह कुछ स्थानीय प्रजातियों सहित वन्यजीवों का एक घर भी है। वे कहते हैं कि जंगल में लगभग पाँच लाख पेड़ हैं और इसमें कुछ नदियां और कुछ झीलें भी बहती हैं।

(‘न्यूज क्लिक’ से साभार)

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