कोलकाता में मुख्यमंत्री ने किया टाला पुल का उदघाटन; उजाड़े गए लोगों का पुनर्वास कब?

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22 सितंबर। कोलकाता में पुनर्निर्मित टाला पुल का भव्य उदघाटन दुर्गा पूजा समारोह शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया। उसी दिन पुराने टाला पुल के नीचे 70-80 साल से रहनेवाले बेदखल बस्तीवासी पुनर्वास के आश्वासन का इंतजार कर रहे थे। वे सुनवाई के लिए इस खास मौके का इंतजार कर रहे थे। टाला ब्रिज का खुलना श्यामबाजार दमदम, आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज क्षेत्र से रोजाना आने-जाने वाले सभी लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। बस्ती के निवासी भी इस बात पर सहमत हैं, इसीलिए उनका कहना था, कि वे उदघाटन कार्यक्रम में बाधा नहीं डालना चाहते थे।

एकमात्र माँग उचित पुनर्वास की थी। पिछले तीन वर्षों से, हर एक परिवार प्लास्टिक के बने आश्रयों में रह रहा है, बारिश का पानी गिर रहा है, हर जगह सांप चूहे हैं। इस शहर में अपना दैनिक जीवन जीने, शहर में मजदूरी करने और अपनी नियमित आजीविका कमानेवालों के लिए जीवन बेहद कठिन रहा है। कुछ लोडिंग अनलोडिंग वर्कर का काम करते हैं, कुछ एम्बुलेंस चलाते हैं, कुछ श्यामबाजार क्रॉसिंग पर चाय बेचते हैं, कुछ पास के फ्लैटों और घरों में घरेलू मजदूरों के रूप में काम करते हैं। प्रशासन और पुलिस ने बार-बार बस्तीवासियों पर पुल के पास किसी प्रकार का कोई कार्यक्रम न करने का दबाव बनाया। पुलिस ने बस्तीवासी श्रमजीवी अधिकार रक्षा समिति के छह साथियों को भी पास की एक बस्ती से उठाया, जहाँ वे लोगों को संगठित करने और उन्हें प्रदर्शन में लाने के लिए गए थे।

इस सबके बाद विरोध प्रदर्शन हुआ। सिर पर छत की उचित माँग के लिए महिलाएं, पुरुष और बच्चे एकसाथ उचित पुनर्वास के लिए आए। डीसी नॉर्थ ने मौके पर आकर कहा, कि आज एक बैठक का आयोजन किया जाएगा, जहाँ बस्तीवासी अपनी माँग मेयर से रखेंगे। पीड़ित मेहनतकश परिवारों ने कहा, अगर प्रशासन अपना वादा पूरा करता है, तो हम सतर्क रहेंगे। यदि वे झूठा वादा करते हैं, रहने वाले शहर को बंद करना जानते हैं। पिछले दो दिनों से बस्तीवासी लगातार सड़क पर हैं। अंत में उदघाटन कार्यक्रम के बाद कोलकाता निगम के मेयर फिरहाद हकीम बस्तीवासियों की ओर से प्रतिनिधियों के साथ बैठे। उन्होंने और सीएम ममता बनर्जी ने मंच से वादा किया था, कि 145 परिवारों को उनके सिर पर छत के साथ कंक्रीट के घर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसकी माँग वे पिछले तीन साल से कर रहे हैं।

(‘मेहनतकश’ से साभार)

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