1 नवंबर। कवि मित्र और दैनिक जनसंदेश टाइम्स के संपादक सुभाष राय का फेसबुक पर एक पोस्ट देख कर स्तब्ध रह गया। राजू पाण्डेय के निधन की खबर थी, और उन्हें श्रद्धांजलि। 51 साल की उम्र में ही इस दुनिया से विदा हो जाना वाकई बेहद असामयिक निधन है।
राजू पाण्डेय से मेरा फोन के जरिए परिचय कई साल पहले हुआ था, तब मैं जनसत्ता के संपादकीय पेज का प्रभारी था। वह लेख भेजते थे, और उनके लेखों की गुणवत्ता से प्रभावित होकर ही मैंने उन्हें फोन किया था। अलबत्ता थानवी जी के बाद जनसत्ता के उलटी राह पकड़ लेने के कारण राजू पाण्डेय का जनसत्ता में लिखना जारी नहीं रह सका। लेकिन उनसे मेरा संपर्क बना रहा। समता मार्ग शुरू हुआ तो उनका लेखकीय सहयोग मिलने लगा और मिलता रहा। समता मार्ग में उनका अंतिम लेख अभी 31 अक्टूबर को ही छपा था – ‘ऋषि सुनक की कामयाबी पर हमें क्यों खुश होना चाहिए?’
राजू पाण्डेय डाक विभाग में अधिकारी थे। एक बार उन्होंने बताया था कि सेहत की विकट हो चुकी समस्या के कारण उन्होंने वीआरएस ले लिया था। तब से लिखना-पढ़ना ही उनकी मुख्य गतिविधि थी और इसमें उनकी नैसर्गिक और गहरी दिलचस्पी थी। वह पूर्णकालिक लेखक होने के पूरी तरह काबिल थे। अनेक विषयों पर उनकी पकड़ थी, देश-दुनिया में जो कुछ हो रहा है उन सबके बारे में वह सारे ब्योरों सहित जानते थे और जिस मुद्दे पर लिखने का निर्णय करते उसके सभी पहलुओं और सभी तथ्यों को खंगाल डालते। उनके लेख काफी पढ़े भी जाते थे। वह समता मार्ग के अलावा दैनिक जनसंदेश टाइम्स और जनचौक के लिए भी लिखते थे। शायद हाल में उनके लेखों का एक संकलन भी प्रकाशित हुआ था। उन्हें ‘वामपंथी गांधीमार्गी’ या ‘गांधीनिष्ठ वामपंथी’ कहा जा सकता है। भाजपा-संघ के वर्चस्व से वह काफी दुखी रहते थे और अपने लेखों तथा टिप्पणियों के लिए सोशल मीडिया पर ‘मोदीभक्तों’ के जहरबुझे बाण झेलते रहते थे। उन्होंने सावरकर पर संघ के तथ्यविरुद्ध प्रचार की काट के लिए एक किताब भी लिखी, कुछ दस्तावेजों की फोटोकॉपी जुटाने की कवायद पूरी न होने के कारण अभी वह अप्रकाशित है।
राजू पाण्डेय रीढ़ संबंधी तकलीफ और कई अन्य बीमारियों से ग्रस्त होने के अलावा अवसाद की भी चपेट में रहते थे। लिखना उनके लिए देश-काल की रुग्णताओं से जूझने के अलावा अपने अवसाद से उबरने का प्रयास भी था। खुद कई बीमारियों से लड़ते हुए भी वह रुग्ण पिता की सेवा में लगे रहते थे। उनका निधन समता मार्ग के लिए भी और मेरे लिए तो व्यक्तिगत क्षति भी है। श्रद्धांजलि!
– राजेन्द्र राजन
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राजू पाण्डेय जी का निधन सचमुच अपूरणीय क्षति है.
स्मृति शेष राजू पाण्डेय जी को सश्रद्ध नमन.