ब्रजेश यादव की पांच कविताएं

0
पेंटिंग - मो.सज्जाद इस्लाम


1. क्या सोचेगा बच्चा

जो सुपरमैन के भी
छुड़ा दे छक्के
भिड़ जाए टाइगर से
खरीद सके
दोनों मुट्ठियों भर चॉकलेट

जिसे याद हो
हंड्रेड तक पहाड़ा
जिससे मिस भी करती हों
अदब से बात

जिसकी बांहें हों कवच
गोद हो सिंहासन
जो नियंता हो
सही और गलत का

जिसके चरणों में लोटते हों
कला साहित्य ज्ञान-विज्ञान

ऐसा परम प्रतापी पिता
डर जाए
बनिए के बिल से
तो क्या सोचेगा बच्चा!

2. चोर भइया

चोर भइया, चोर भइया
चोरी कर लो
कुछ तो हैं अपमान हमारे
बक्से में हैं पाप हमारे
उस ताखे पर धरे हुए हैं
थोड़े से संताप हमारे
चोरी कर लो

देखो मेरे सारे सपने
यहीं कहीं पर बिखरे होंगे
बिस्तर के नीचे पैताने
तुड़े-मुड़े कुछ झगड़े होंगे
चोरी कर लो

मन की जो घनघोर निराशा
रातों से भी काली है
उस खूंटी पर टंगी हुई है
खासी कीमत वाली है
चोरी कर लो

बड़ी कीमती कुंठाएं
झूठी आशा से ढक दी हैं
पीड़ा बॅंधी की गठरी
अलमारी में रखी हैं
टूटे रिश्ते, झूठे वादे
नफरत है, लालच भी है
चोरी कर लो।

पेंटिंग- सुरेंद्र राव

3. संस्कार

वे सफल थे
बता सकते थे मुझे
सफलता के मंत्र

उन्होंने कहा
जरा हुलिया ठीक करो अपना
फर्स्ट इंप्रेशन इज लास्ट इंप्रेशन

वर्क की नहीं
नेटवर्क की है दुनिया

सामने सच कहने से बेहतर है
पीठ पीछे गाली देना

बुद्धिमान के लिए अवसर हैं
दूसरों की कमजोरियां

जिसकी जेब खाली
वो भार
जिसकी जेब भरी
वो रिश्तेदार

वे कहते रहे
मैं सुनता रहा
उनके जाने के बाद
सोचा मैंने

भले आदमी के संस्कार
गए नहीं अभी तक
वरना इतनी गूढ़ बातें
मुझे क्यों बताता

4. बेरोजगार लड़के

उन्हें खोजना नहीं पड़ता
वे मिल जाएंगे कहीं भी
झुंड में बैठे हुए
किसी चाय की दुकान
गली के मोड़ पार्क
या कहीं भी उस जगह
जहां बैठा जा सके देर तक

वे हंसते हैं बेफिक्र हंसी
जोर-जोर से करते हैं बहस
जैसे उनकी बहसों से ही
जिंदा है देश का लोकतंत्र

वे हवाओं में टांकते हैं गालियां
और हाथ में चाय का गिलास थामे
बांचते रहते हैं
गली की लड़की से लेकर
लादेन तक की कुंडली

उनके पास
सूचना और अफवाहों का
अथाह भंडार है
वे अफवाहों की सच्चाई पर यकीन करते हैं
सच ही लगें अफवाहें इसलिए
उनमें कुछ अफवाहें और जोड़ देते हैं

उन्हें कभी भी आवाज लगाई जा सकती है
मंगवाई जा सकती हैं बाजार से सब्जियां
वे जमा करा सकते हैं पानी-बिजली का बिल
बर्थडे हो या बारात
मुस्तैद रहते हैं हरदम
कोई हो जाए बीमार
आधी रात में उठाया जा सकता है उन्हें

वे ईमानदार और अच्छे बच्चे हैं
किसी काम के लिए ना नहीं करते
ना कहने पर कहा जा सकता है उन्हें
बेकार और आवारा।

5. इस घर में नहीं रहती गौरैया

कोई नहीं बता सकता
कब चली गयी गौरैया
लेकिन यकीन से कह सकता हूं
सुबह चहचहाने के बाद ही
उसने छोड़ा होगा घर

सुबह जब सूरज की लाल किरणें
हो रही होंगी सुनहली
रोज की तरह
चहचहाने के बाद
उसने फड़फड़ाए होंगे पंख
घर से निकल गयी होगी
फुर्र से

उसका जाना
इतना मामूली था
जैसे नींद टूटने के बाद
सपने का चला जाना

इसलिए नहीं बनी ब्रेकिंग न्यूज

कितनी हैरानी की बात है
वह चली गयी
हम रह गए घर में
निपट अकेले

बरसों तक
हमें पता ही नहीं चला

कि अब इस घर में
नहीं रहती गौरैया।

Leave a Comment