3 दिसंबर। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को स्टूडेंट एक्टिविस्ट उमर खालिद और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के सदस्य खालिद सैफी को 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में आरोपमुक्त कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने थाना खजूरी खास में दर्ज एफआईआर 101/2020 के मामले में यह आदेश सुनाया।
कोर्ट ने उमर खालिद और खालिद सैफी के अलावा तारिक मोईन रिजवी, जागर खान और मो इलियास को भी आरोपमुक्त कर दिया। आरोपी तारिक मोइन रिजवी, जागर खान, मोहम्मद इलियास, खालिद सैफी और उमर खालिद को धारा 437-ए सीआरपीसी के तहत 10,000 रुपये के मुचलके के साथ इतनी ही राशि की जमानत राशि जमा करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने संबंधित आरोपियों को सूचित करने के लिए आदेश की प्रति संबंधित जेल अधीक्षक को भेजने का निर्देश दिया। जज ने हालांकि ताहिर हुसैन, लियाकत अली, रियासत अली, शाह आलम, मो शादाब, मो आबिद, राशिद सैफी, गुलफाम, अरशद कय्यूम, इरशाद अहमद और मो रिहान के खिलाफ आरोप तय किए। आईपीसी की धारा 120बी, 147, 148, 188, 153ए, 323, 395, 435, 436, 454 के तहत आरोप तय किए गए हैं। एफआईआर में खालिद और सैफी दोनों जमानत पर हैं। हालांकि, वे अब भी यूएपीए मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। एफआईआर आईपीसी की धारा 109, 114, 147, 148, 149, 153-ए, 186, 212, 353, 395, 427, 435, 436, 452, 454, 505, 34 और 120-बी, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम की धारा 3 और 4 और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 और 27 के तहत दर्ज की गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की इमारत का इस्तेमाल कथित दंगाइयों द्वारा “ईंटें मारने, पथराव करने, पेट्रोल बम फेंकने और एसिड बम फेंकने” के लिए किया गया था। यह भी आरोप लगाया गया था कि उक्त सामग्री इमारत की तीसरी मंजिल और छत पर पड़ी मिली थी। हालांकि उमर भीड़ का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उन पर और खालिद पर मामले में आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया था। एफआईआर में उमर खालिद को जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि उसके खिलाफ अधूरी सामग्री के आधार पर उसे सलाखों के पीछे रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह देखते हुए कि मामले की जांच पूरी हो चुकी थी और चार्जशीट भी दायर की जा चुकी थी, अदालत ने कहा कि उसे “केवल इस तथ्य के कारण अनंत काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता है कि अन्य व्यक्ति जो दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, उन्हें मामले में पहचान की जाए और गिरफ्तार किया जाए।”
(लाइव लॉ से साभार)